सीएए पर विरोध को देखते हुए उत्तर प्रदेश के 14 जिलों मे शुक्रवार को इन्टरनेट पर पाबंदी लगा दी गयी है । इस तरह की पाबंदी से काफी आर्थिक क्षति हो रही है।
देश में मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) का कहना है देश में इंटरनेट बंदी से प्रतिघंटे करीब 2.5 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। COAI के अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने इस संबंध में केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
उल्लेखनीय है की आज के समय में इंटरनेट संबंधी सेवाओं पर हमारी निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गई है। यही वजह है कि जब किसी इलाके में इंटरनेट पर पाबंदी लगायी जाती है तो उससे आर्थिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ता है। COAI के महासचिव राजन मैथ्यू के अनुसार, चाहे राजस्थान में पेपर लीक होने का डर हो या फिर जम्मू कश्मीर में हिंसा फैलने का डर, सरकार ऐसी सभी जगह ‘इंटरनेट बंद करने की पॉलिसी’ लागू कर रही है।
राजन के अनुसार, सरकार को देश के सभी हिस्सों में इंटरनेट बंद करने की पॉलिसी लागू करने की बजाय इंटरनेट बंद करने से पहले इसके फायदे और इसकी लागत पर भी विचार करना चाहिए। COAI के महासचिव का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब जम्मू कश्मीर में और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शनों के डर से इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी।
COAI अधिकारियों के अनुसार, इंटरनेट बंद करने की प्रक्रिया में कई खामियां भी हैं, जिन्हें 8 अगस्त, 2017 के गजट नोटिफिकेशन में भी लिस्टेड किया गया है, इसकी ओर भी सरकार का ध्यान आकर्षित कराया गया है। अधिकारियों के अनुसार, आम तौर पर इंटरनेट बंद करने संबंधी नोटिफिकेशन पर सचिव स्तर के अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं होते। इसके साथ ही इंटरनेट बंद करने के आदेश संबंधी जानकारी हर बार COAI को भी नहीं दी जाती है।
राजन मैथ्यू के अनुसार, 2019 में करीब 100 बार देश के अलग-अलग हिस्सों में इंटरनेट पर रोक लगायी गई है। मैथ्यू का कहना है कि सरकार को इंटरनेट पर पाबंदी लगाने के बजाय स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सर्जिकल टूल्स का इस्तेमाल करना चाहिए।