भारतीय मूल की अमेरिकी वनिता गुप्ता अमेरिका की एसोसिएट अटॉर्नी जनरल चुन ली गई हैं। वो इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला हैं। गुप्ता की नियुक्ति को यूएस के पुलिस विभाग में व्याप्त नस्लवाद को खत्म करने के प्रयासों के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के न्याय विभाग में तीसरा सबसे ऊंचा पद एसोसिएट अटॉर्नी जनरल का है। न्याय विभाग में सहयोगी अटॉर्नी जनरल के रूप में गुप्ता नागरिक अधिकारों के काम की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
वनिता गुप्ता को एसोसिएट अटॉर्नी जनरल चुने जाने के दौरान अमेरिकी सीनेट काफी विभाजित रहा। 51-49 के अंतिम वोट से गुप्ता राष्ट्रपति जो बाइडेन की एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त हुईं। रिपब्लिकन लिसा मुर्कोव्स्की ने बाइडेन की उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। मुर्कोव्स्की ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि गुप्ता निजी तौर पर अन्याय का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध रही हैं।
पिछले हफ्ते टल गया था मतदान
अमेरिकी सीनेट में वनिता गुप्ता के नाम की पुष्टि पर होने वाली सुनवाई पर मतदान पिछले हफ्ते टल गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रिपब्लिकन सांसदों ने उनके नाम का विरोध किया था। विरोध का सबसे बड़ा कारण वनिता गुप्ता द्वारा किए गए वे ट्वीट हैं जिनमें उन्होंने कुछ रिपब्लिकनों की आलोचना की थी।
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दक्ष-सम्मानित भारतीय मूल की वकील वनिता गुप्ता’
मतदान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि उन्होंने ‘बहुत ही दक्ष और सम्मानित’ भारतीय मूल की वकील वनिता गुप्ता को न्याय विभाग के लिए नामित किया है, जिन्होंने अपना पूरा करियर नस्लीय समानता और न्याय की लड़ाई में लगाया है। राष्ट्रपति बाइडन ने जॉर्ज फ्लॉयड मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन के खिलाफ आए फैसले पर टिप्पणी करते हुए यह बात कही।
‘पूरा करियर नस्लीय न्याय को समर्पित किया’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने न्याय विभाग में दो अहम पदों के लिए वनिता गुप्ता और क्रिस्टेन क्लॉर्क को नामित किया है जो बहुत ही दक्ष और सम्मानित वकील हैं और जिन्होंने अपना पूरा करियर नस्लीय समानता और न्याय की लड़ाई में व्यय किया है। वनिता और क्रिस्टेन अनुभवी हैं और उन में वह कुशलता है जिसकी जरूरत हमारे प्रशासन को असंवैधानिक पुलिस प्रणाली को खत्म करने और फौजदारी न्याय प्रणाली में सुधार करने लाने के लिए है। वे इस नामांकन की पुष्टि के अधिकारी हैं।’’