नई दिल्‍ली। दुनिया में आतंक का झंडाबरदार पाकिस्‍तान एक बार फिर नापाक साजिश रच रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्‍तान में उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई अब ताबिलान को कमजोर करने के लिए स्‍थानीय छोटे जिहादी समूहों को जोड़कर उनका एक गठबंधन तैयार करने में जुटी है। इन जिहादी समूहों की विचारधारा काफी कट्टर है।


विदेश नीति की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की ओर से इस्‍लामिक इंवीटेशन एलायंस को फंडिंग की जा रही है। इसे 2020 में बनाया गया था. इसके बाद से ही यह एक साल से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की नजर में रहा है। उस समय इसके गठन का मकसद तालिबान की जीत को सुनिश्चित करना था। लेकिन अब मौजूदा समय में इसी गठबंधन के जरिये तालिबान को कमजोर करने का प्‍लान बनाया जा रहा है।

पिछले दिनों दिल्‍ली में मौजूद राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की ओर से साझा की गई जानकारी से पता चलता है कि आने वाले दिनों में तालिबान के अंदर ही जंग शुरू होने की संभावना है। एनएसए की इस बैठक में अफसरों ने अधिकांश बातचीत बंद दरवाजों के भीतर की। लेकिन इस दौरान सभी अफगानिस्‍तान की स्थिति को लेकर खास नतीजों पर पहुंचे। इसमें वहां की स्थिति कई गुना अधिक खराब बताई जा रही है।

इस क्षेत्र में चिंता पहले से कहीं अधिक बढ़ी हुई है। इसमें देशों की ओर से पिछले 20 सालों को नाकाम कहा गया है. हालांकि कई देश अभी तालिबान के संपर्क में हैं, लेकिन इसके बावजूद उसके मौजूदा साम्राज्‍य पर इनका कम भरोसा है एक आम सहमति थी कि बाहरी मान्यता से पहले तालिबान को आंतरिक वैधता हासिल करनी होगी।

वहीं बैठक में सभी एनएसए ने अफगानिस्‍तान से दूसरे देशों में पहुंच रहे शरणार्थियों की समस्‍या पर चिंता व्‍य‍क्‍त की। चिंता जाहिर की गई है कि ये लोग अपने साथ तालिबान की विचारधारा भी उनके देश ले जाएंगे।

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