नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के मामले दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामें में कहै है कि मामला लॉ कमीशन के समक्ष लंबित है और ला कमीशन इस पर गहराई से विचार कर रहा है। लॉ कमीशन की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार कोई फैसला लेगी। फिलहाल केंद्र सरकार ने हलफनामे के मुताबिक समान नागरिक संहिता लागू करने का अभी कोई विचार नहीं किया है। लॉ कमीशन के रिपोर्ट के बाद ही केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता पर अपना रुख तय करेगी।

संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता को लागू करना राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर यूनिफॉर्म सिविल कोड अबतक लागू क्यों नहीं हो सका है?  सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में समान नागरिक संहिता लागू न किए जाने पर सवाल उठाए.म। सुप्रीम कोर्ट ने ये तक कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 की अपेक्षाओं के मुताबिक सरकार ने समान नागरिक संहिता बनाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता बनाने के संबंध में अप्रैल 1985 में पहली बार सुझाव दिया था।

समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि भारत में रहने वाले किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के व्यक्ति के लिए एक समान कानून हो। समान नागरिक संहिता एक धर्मनिरपेक्ष कानून है जो सभी धर्म के लोगों के लिये समान है और किसी भी धर्म या जाति के पर्सलन लॉ से ऊपर है।

समान नागरिक संहिता के तहत किसी भी धर्म या समुदाय में शादी, तलाक और जायदाद से जुड़े मामलों में पूरे देश में एक ही कानून होगा। यानी किसी धर्म या समुदाय का अपना पर्सनल लॉ नहीं होगा। फिलहाल देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के अपने कानून हैं तो हिंदू सिविल लॉ के दायरे में हिंदुओं के अलावा सिख, जैन और बौद्ध आते हैं। ऐसे में देश में अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो पाता है तो वो निष्पक्ष कानून होगा जो किसी धर्म से बंधा नहीं होगा।

गोवा और पुडुचेरी में समान नागरिक संहिता लागू है

गोवा में साल 1961 से समान नागरिक संहिता लागू है जिसमें समय के साथ बदलाव भी किए गए। 1961 में गोवा के भारत में विलय के बाद भारतीय संसद ने गोवा में ‘पुर्तगाल सिविल कोड 1867’ को लागू करने का प्रावधान किया जिसके तहत गोवा में समान नागरिक संहिता लागू हो गयी। इस कानून के अंतर्गत शादी-ब्याह, तलाक, दहेज, उत्तराधिकार के मामलों में हिंदू, मुसलमान और ईसाइयों पर एक ही कानून लागू होता है। कभी फ्रांस का उपनिवेश रहे पुडुचेरी मे भी समान नागरिक संहिता लागू है ।

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