जोधपुर। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने आज यानी 27 दिसंबर 2019 को अपने सबसे खतरनाक फाइटर जेट मिग-27 को एक कार्यक्रम में रिटायर कर दिया। राजस्थान के जोधपुर स्थित एयरफोर्स स्टेशन से यह फाइटर जेट आखिरी बार सॉर्टी पर रवाना हुआ। 35 सालों तक आईएएफ का हिस्सा रहने और कारगिल जैसी जंग में दुश्मन के दांत खट्टे करने वाला जेट अब वायुसेना का हिस्सा नहीं रह गया है। यह बात भी गौर करने वाली है कि इस जेट के रिटायर होने के साथ ही आईएएफ की फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या करीब 30 ही रह गई है। यह संख्या आईएएफ के इतिहास में सबसे कम है। आईएएफ को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है।
आईएएफ के बाद कजाखिस्तान की एयरफोर्स अब दुनिया की अकेली वायुसेना रह गई है जो इस फाइटर जेट का प्रयोग कर रही है। अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल की जंग में पहला मौका था जब इस जेट ने पहली बार हिमालय की ऊंचाईयों पर दुश्मन को निशाना बनाया था। यही वह जेट था जो क्रैश हो गया था और फिर तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को पाकिस्तान ने अगले छह दिनों तक बंदी बनाकर रखा था।
सीनियर आईएएफ ऑफिसर ने बताया कि आखिरी सॉर्टी पर सात मिग-27 फाइटर जेट आसमान में नजर आएंगे। इस ऑफिसर के मुताबिक यह अपने आप में एक इतिहास होगा क्योंकि अब कोई भी देश मिग-27 को ऑपरेट नहीं करता है। मिग-27 फाइटर जेट को उड़ाने वाले पायलट्स ने इस जेट को ‘बहादुर’ नाम दिया था। तीन दशकों से यह जेट आईएएफ के साथ है और इसका ट्रैक रिकॉर्ड किसी भी जेट की तुलना में बहुत ही उम्दा है।
सिंगल इंजन से ऑपरेट होने वाला यह एयरक्राफ्ट अपने इसी सिंगल इंजन की वजह से दुनिया का दमदार जेट है। इस जेट के जियोमिट्री विंग (पंख) इस एयरक्राफ्ट को और ताकतवर बनाते हैं। इन विंग्स की वजह से पायलट उड़ान के समय ही विंग स्वीप एंगल को बदल सकता है। जेट 45 डिग्री से लेकर 72 डिग्री तक घूम सकता है। साथ ही 16 डिग्री पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर सकता है। किसी भी एयरक्राफ्ट के लिए किसी भी मिशन पर यह सबसे बड़ी उपलब्धि होती है जिस पर उसे खरा उतरना होता है।
साल 1980 में सोवियत संघ से मिग-27 को खरीदा गया था और साल 1981 में ये आईएएफ में शामिल हुए। साल 1985 में इन जेट्स ने पहली आधिकारिक उड़ान भरी थी। कारगिल की जंग के समय जब आईएएफ ने दुश्मन को सीमाओं से बाहर खदेड़ने के लिए ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया था तो उस समय इन जेट्स ने एक बड़ा रोल अदा किया था। आईएएफ की आखिरी स्क्वाड्रन 29 स्कॉर्पियो जोधपुर में ही है। आखिरी सॉर्टी के साथ ही फाइटर जेट इतिहास का हिस्सा बन जाएगा।