विशेष संवाददाता

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की दशकों पुरानी गुटबाजी एक बार फिर सतह पर आ रही है। पिछले कई महीनों से पार्टी लाइन से अलग बयान देकर बागी तेवर दिखा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जवाब देना शुरू कर दिया है। अभी हाल में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के मुद्दे पर जब सिंधिया ने अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी तो सोनिया से मिलकर लौटे कमलनाथ ने भी शनिवार को उन्हें दो-टूक कह दिया कि, ‘उन्हें उतरना है तो उतर कर देख लें। चुनावी वादे पूरे करने के लिए पांच साल का वक्त होता है। सरकार अपने हिसाब से एक-एक करके सभी वादे पूरे करेगी ।

मुख्यमंत्री ने हाई कमान से की थी सिंधिया के बागी तेवरों की शिकायत

गौरतलब है कि, कुछ दिन पहले ही सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का चुनावी वादा निभाने की मांग करते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दे दी थी। यही नहीं उन्होंने दिल्ली चुनाव में पार्टी की दयनीय स्थिति का उल्लेख करते हुए उसकी रीति-नीति, काम-काज और विचारधारा में बदलाव की जरूरत भी बतायी थी। उस समय कमलनाथ कुछ बोले तो नहीं, लेकिन दिल्ली जा कर सोनिया गांधी से ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिकायत जरूर की।

कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक से बीच में उठ कर चले गये सिंधिया

दिल्ली से लौट कर कमलनाथ ने शनिवार को अपने आवास पर कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक बुलायी थी, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी, दीपक बबरिया आदि ने शिरकत की थी। इसी बैठक में कुछ ऐसा हुआ कि, सिंधिया बीच में ही उठकर चले गये और कमलनाथ ने मौन तोड़ते हुए सड़क पर उतर कर देख लेने की चुनौती दे दी। वैसे सिंधिया ने ट्वीट कर विकास कार्यों की रणनीति के लिहाज से बैठक को कारगर बताया।

पुरानी फूट फिर उभरी

उल्लेखनीय है कि, मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक तक सत्ता से दूर रही कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों में आपसी फूट दूर करने का फ़ैसला कर लिया था। आला कमान के दबाव में प्रदेश के तीनों क्षत्रपों कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह ने हाथ मिला लिये थे। पार्टी को इसका फायदा भी मिला और वह भाजपा की शिवराज सरकार को अपदस्थ कर गद्दी पर कब्जा करने में कामयाब रही। लेकिन इनके हाथ ही मिले थे, दिल नहीं मिल पाये। 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही आपसी फूट उजागर होने लगी, सिंधिया और दिग्विजय सिंह ने इशारों-इशारों में कमलनाथ सरकार के चुनाव प्रबंधन पर अंगुली उठानी शुरू कर दी थी। पर राहुल के इस्तीफे से मामला दब गया।

हालात बेकाबू हुए तो सूबे में सरकार और पार्टी की दुर्गति तय

लेकिन अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जब कांग्रेस को संविधान और राष्ट्रीय अखंडता खत्म होती नजर आ रही थी, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोदी सरकार के इस कदम की खुलेआम सराहना कर अपने बागी तेवर दिखा दिये थे। इसके बाद तो उनके अपनी दादी और बुआ की राह पकड़ने की चर्चा तक शुरू हो गयी थी। अब कमलनाथ ने भी जवाबी चुनौती दे कर साफ कर दिया है कि, वह भी पीछे हटने वाले नहीं हैं। अब यह तो पता नहीं कि, दोनों में से कौन जीतेगा। लेकिन यदि हालात बेकाबू हो गये, तो सूबे में सरकार और पार्टी दोनों की दुर्गति तय है।

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