बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ सत्ता चला रही जनता दल यूनाइडेट (JDU) ने अब पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलयावी ने गुरुवार को कहा कि पार्टी 2021 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि, अभी यह साफ नहीं किया गया है कि पार्टी अकेले दम पर यहां चुनाव लड़ेगी या अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी।

बीजेपी के वोटों में होगी सेंधमारी?
माना जा रहा है कि जेडीयू के चुनाव लड़ने से कई सीटों पर बीजेपी के वोटों का बंटवारा हो सकता है। बीजेपी इस बार यहां सत्ताविरोधी मतों के जरिए जीत हासिल करने के प्रयास में है। ऐसे में टीएमसी विरोधी मतों के बंटवारे का सीधा मतलब होगा कि वोट बीजेपी के कटेंगे।

एलजेपी वाला बदला लेगी जेडीयू?
हाल ही में बिहार में संपन्न विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बहुमत हासिल किया है। लेकिन एलजेपी की ओर से जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे जाने की वजह से नीतीश कुमार को सीटों के मामले में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कई सीटों पर एलजेपी के वोट काटने की वजह से ही जेडीयू के उम्मीदवार हार गए। नतीजा यह हुआ कि जेडीयू यहां बीजेपी से पिछड़ गई। जेडीयू के कई नेता मानते हैं कि असल में बीजेपी ने ही यह खेल रचा था। कुछ जानकार बताते हैं कि जेडीयू में इस बात को लेकर टीस जरूर है। नीतीश कुमार राजनीति के बेहद माहिर खिलाड़ी हैं और हिसाब-किताब के लिए सही मौका तलाश ही लेते हैं।

क्या चुनाव नतीजों पर असर डाल पाएगी जेडीयू?
बिहार से सटे पश्चिम बंगाल की कुछ सीटों पर जेडीयू का असर हो सकता है। हालांकि, बिहार से बाहर पार्टी का संगठन काफी कमजोर रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी चुनाव नतीजों पर कोई असर तो नहीं डाल पाएगी, लेकिन कुछ सीटों पर यदि इसने बीजेपी के वोट काट लिए तो बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है।

26 दिसंबर को मंथन
26 दिसंबर से पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की अगुआई में बड़े नेता मंथन करेंगे। बिहार चुनाव परिणाम की समीक्षा के साथ ही बिहार से बाहर पार्टी के विस्तार को लेकर चर्चा होने वाली है। पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने के फैसले पर भी अंतिम मुहर इसी बैठक में लगाई जाएगी।

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