येरेवान ( एजेंसी )। आर्मेनिया की यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वहां से आवागमन का मार्ग बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने ईरान के चाबहार बंदरगाह से उत्तर-दक्षिण कारिडोर बनाकर आर्मेनिया से संपर्क स्थापित करने का मार्ग सुझाया है। इसके जरिये भारत और आर्मेनिया अपना व्यापार बढ़ा सकेंगे-संबंध विकसित कर सकेंगे। जयशंकर ने यह सुझाव आर्मेनिया के शीर्ष नेताओं से वार्ता में दिया। जयशंकर तीन देशों की यात्रा के अंतिम दौर में मध्य एशिया के देश आर्मेनिया पहुंचे हैं। उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के संबंधों को बढ़ाना है और अफगानिस्तान के मसले पर मिली-जुली राय कायम करना है।

मंत्री हैं। उन्होंने आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पेशिन्यान से मुलाकात कर उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामना संदेश दिया। जयशंकर ने ट्वीट कर बताया है कि प्रधानमंत्री पेशिन्यान से वार्ता में दोनों देशों के संबंध विकसित करने पर विस्तार से चर्चा हुई। परस्पर लाभ वाला सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। जयशंकर ने राष्ट्रपति एलेन साइमोन्यान से भी औपचारिक मुलाकात की। इससे पहले जयशंकर ने अपने आर्मेनियाई समकक्ष अररात मिर्जोयान के साथ वार्ता की और इसके बाद दोनों नेताओं से संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित किया ।

जयशंकर ने कहा, इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर के सदस्य के रूप में भारत और आर्मेनिया चाबहार पोर्ट के जरिये अपना संपर्क बढ़ाएंगे। ईरान के इस पोर्ट को भारत ने विकसित किया है। क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए हम चाबहार के इस्तेमाल का स्वागत करते हैं। चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत के मध्य में स्थित है। यहां पर भारत के पश्चिमी तट से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

इस बंदरगाह के जरिये भारत सीधे अफगानिस्तान पहुंच सकता है। भारत के लिए यह बंदरगाह व्यापार के नए रास्ते खोलेगा। इसके पहले चरण का उद्घाटन दिसंबर 2017 में हो चुका है। इससे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का मुकाबला किया जा सकेगा, जो चाबहार से 80 किलोमीटर दूर है। पाकिस्तान ने अपने इस बंदरगाह को इस्तेमाल के लिए चीन को दे रखा है।

तुर्की के हमले में मारे गए लोगों को दी श्रद्धांजलि

भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की हरकतों का जवाब देते हुए येरेवान पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर ने 15 लाख आर्मेनियाई लोगों के नरसंहार के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। ये लोग तुर्की के हमले में मारे गए थे। इसे 20 वीं सदी में हुआ सबसे पहला और सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है। जयशंकर ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित करने की जानकारी दी।

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