मेरठ में रिश्वतखोरी में पकड़े गए आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर ने पूछताछ में अपने ही विभाग की पोल खोल दी है। बताया जाता है कि इंस्पेक्टर ने विभाग के तीन बड़े अफसरों के नाम लिए हैं। उन अधिकारियों तक रिश्वतखोरी का पैसा जाता था। विजिलेंस टीम ने मामले की गोपनीय जांच शुरू कर दी है।
सोमवार को विजिलेंस सीओ सुधीर कुमार ने शराब ही दुकानों के ठेकेदार यतेंद्र शर्मा की शिकायत पर आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर अतुल त्रिपाठी को 66 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए दबोचा था। आरोपी इंस्पेक्टर अतुल त्रिपाठी को मंगलवार को कोतवाली पुलिस ने कचहरी स्थित एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजा।
इस दौरान विजिलेंस की टीम, सतर्कता अनुष्ठान और कोतवाली थाने की पुलिस मौजूद रही। कोतवाली थाने से कचहरी तक आरोपी इंस्पेक्टर से मिलने वालों की कतार लगी रही। इंस्पेक्टर के जेल जाने के दौरान परिजन मौजूद रहे।
जिला आबकारी अधिकारी आलोक कुमार ने आबकारी इंस्पेक्टर अतुल त्रिपाठी की रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय में भेजी। मुख्यालय ने इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही विभागीय कारवाई भी शुरू कर दी है। आरोपी इंस्पेक्टर से पूछताछ के बाद सामने आए तथ्यों की रिपोर्ट विजिलेंस टीम ने लखनऊ भेज दी है। वहां से निर्देश मिले हैं कि आबकारी विभाग में रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को भी जेल भेज दें। विजिलेंस उनके खिलाफ सबूत जुटा रही है।
इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी से विभाग में हड़कंप
आबकारी निरीक्षक की गिरफ्तारी के बाद से विभाग में हड़कंप मचा है। मंगलवार को विभाग से कई अफसर नदारद रहे। विभाग में इन दिनों नए सत्र की तैयारियां चल रही हैं। हाल ही में आबकारी नीति भी संशोधित हुई है। एकाएक घूसखोरी का मामला उजागर होने के बाद पूरे विभाग में खलबली है।
फिलहाल अतुल त्रिपाठी को उप्र सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के उल्लंघन में दोषी पाते हुए उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के तहत निलंबित किया गया है। अभिरक्षा से मुक्त होने के बाद वह कार्यालय आबकारी आयुक्त, प्रयागराज से संबद्ध रहेंगे।