अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने के बाद राजधानी काबुल इन दिनों काफी संघर्ष से जूझ रहा है। सत्ता में रह चुके मंत्री से लेकर नेता सब अपनी जान बचाने के लिए फरार हो गए हैं। इससे पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके थे। ऐसे में और देश भी अपने लोगों के साथ अफगानिस्तान के लोगों को एयरलिफ्ट करने में लगा हुआ है। इस बीच राजधानी काबुल गुरुवार को सीरियल बम ब्लास्ट से दहल गया, जिसमें अब तक 60 लोगों की मौत होने की खबर सामने आई है। वहीं करीब 120 लोगों के हताहत होने की सूचना है। बताया जा रहा है कि इस धमाके में अमेरिका के 12 सैनिकों की भी मौत हुई है, जबकि 15 घायल है। इस बम ब्लास्ट की भारत ने कड़ी निंदा की है।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत काबुल में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा करता है। हम इस आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। आज का हमले इस बात फिर से मजबूत करता है कि आतंकवाद और आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने वालों के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़े होने की जरूरत है।

इधर, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इन बम धमाकों की जिम्मेदारी का अब तक किसी ने कोई दावा नहीं किया है, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने इस्लामिक स्टेट के अफगान सहयोगी आईएसआईएस-खुरासान पर उंगली उठाई है, जो पश्चिम और तालिबान दोनों के दुश्मन के रूप में उभरा है।

वहीं काबुल में अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर दो विस्फोटों के बाद अमेरिकी नागरिकों को हवाई अड्डे की यात्रा करने से बचने और हवाई अड्डे के फाटकों से बचने के लिए एक सुरक्षा अलर्ट जारी किया है।

इस धमाके के बाद अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड जे ऑस्टिन ने कहा कि मैं काबुल में मारे गए और घायल हुए सभी लोगों के प्रियजनों और टीम के साथियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। हमें मौजूदा हालातों में भी अपना काम करने से नहीं रोका जा सकता।

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