चीनी सैन्य अधिकारियों की मैराथन बैठक बेनतीजा

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के बीच हुई क्रूर झड़प के एक हफ्ते बाद, दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने एलएसी (LAC) पर चीन की ओर मोल्डो में सोमवार को मैराथन बैठक की। इस बातचीत में दोनों देशों के अधिकारियों ने सीमा पर जारी तनाव को कम करने को लेकर बात की। भारत ने चीनी सैनिकों से उसी स्थान पर वापस जाने को कहा, जहां पर वे अप्रैल महीने की शुरुआत में थे।

इस बातचीत से अवगत दो अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने फिंगर एरिया, जहां चीनी सैनिकों ने बंकर, पिलबॉक्स और ऑबजर्वेशन पोस्ट बनाए हुए हैं, उन्हें हटाने और चीनी सैनिकों से वहां से वापस जाने को कहा। उन्होंने कहा कि सेना ने 15 जून को हुई झड़प वाली जगह (गलवान घाटी) से पीएलए सैनिकों की वापसी की भी मांग की। इसके साथ ही प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में यथास्थिति बहाल करने की मांग की है।

लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक सुबह 11.30 बजे के आसपास शुरू हुई और रात 10.15 बजे तक चली। हालांकि, इस बैठक को लेकर अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।

सैन्य स्तर की वार्ता से परिचित दो अधिकारियों ने बताया है कि भारत ने चीनी पक्ष से सीमा पर चल रहे तनाव को खत्म करने को लेकर आश्वासन की मांग की है। बता दें कि गलवान घाटी में 15 जून से पहले 5-6 मई को पैंगोंग सो में भारतीय और चीनी सैनिक एक दूसरे के आमने-सामने आ चुके थे। 

उन्होंने कहा, ‘भारत सीमा के किनारे ‘गहराई वाले इलाकों’ में चीन की सैन्य तैनाती को कम करने की भी मांग कर रहा था।’ उन्होंने कहा कि इस बातचीत का उद्देश्य फिंगर एरिया, गोगरा पोस्ट-हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी में पहले की यथास्थिति को बहाल करना था।

अधिकारियों के मुताबिक, सेना विशेष रूप से पीएलए (चीनी सैनिक) की उपस्थिति के बारे में चिंतित थी, विशेषकर पिछले सात सप्ताह में फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच में हुई चीनी गतिविधियों को लेकर। फिंगर एरिया में चीनी सैनिकों की उपस्थिति भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग के क्षेत्र को सीमित कर सकती है।

भारत ने बातचीत के दौरान पैंगोंग सो, गोगरा पोस्ट हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सेना के बिल्ड अप्स, बख्तरबंद गाड़ियां और तोपों की मौजूदगी पर भी चिंता जाहिर की। 

कॉर्प्स कमांडर रैंक के दो अधिकारियों की यह दूसरी बैठक थी। इससे पहले दोनों छह जून को बैठक कर चुके हैं, तब दोनों देशों के सैनिकों के डि-एस्केलेशन पर सहमति बनी थी। हालांकि, बाद में मामला बढ़ा और 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हुआ।

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