टोक्यो ओलिंपिक मे बेल्जियम के साथ खेले गए सेमीफाइनल में भारत की हार का अंतर उसके संघर्ष की असली कहानी बयां नहीं करता। करोड़ों भारतीय खेलप्रेमियों को जरूर निराशा का सामना करना पड़ा, जब भारतीय टीम विश्व चैंपियन बेल्जियम के हाथों 2-5 के अंतर से से हारकर स्वर्ण पदक की रेस से बाहर हो गयी।
लेकिन सच तो यह है कि दूसरे ही मिनट में गोल खाने वाले भारत ने सातवें और आठवें मिनट मे दो गोल दागकर बेल्जियम को न सिर्फ दबाव मे ला दिया बल्कि तीन क्वार्टर यानी पैंतालीस मिनट तक विजेता टीम को कडी टक्कर भी दी। लेकिन चौथे व अंतिम क्वार्टर में बेल्जियम ने हैट्रिक का गौरव प्राप्त करने वाले मैन आफ द मैच पेनालूटी कार्नर विशेषज्ञ अलेक्जेंडर हैण्ड्रिक्स के बल पर भारत को, जो 49 बरस बाद ओलंपिक के अंतिम चार में स्थान बनाने में कामयाब हुआ था, दबोच कर रख दिया। इन 15 मिनटों के दौरान भारत ने तीन गोल खाए, पेनाल्टी कार्नर और पेनाल्टी स्ट्रोक से हैण्ड्रिक्स ने दो गोल करते हुए अपनी तिकड़ी पूरी की और अंतिम गोल उसको घलुए में मिल गया।
अब भारत महाकुंभ में कांस्य पदक के लिए पांच अगस्त को खेलेगा।
निर्णायक और चौथे क्वार्टर में भाग्य बेल्जियम के पक्ष में रहा, तो उन्होंने खेल भी बेहतर दिखाया। इस क्वार्टर में बेल्जियम ने तीन गोल दागकर मुकाबला 5-2 से अपने नाम कर लिया। इस क्वार्टर में एक गोल पेनाल्टी स्ट्रोक से आया और इसी से सब कुछ बदल गया। बेल्जियम की ओर से यह चौथा गोल पेनाल्टी स्ट्रोक के जरिए किया गया। यह गोल हेंड्रिक्स की तरफ से किया गया, जो उनका टूर्नामेंट में 14वां गोल रहा. वहीं, बेल्जियम के लिए तीसरा गोल एक के बाद एक मिले तीन में से आखिरी पेनल्टी कॉर्नर पर आया। इससे पहले तीसरे क्वार्टर की समाप्ति के बाद भी दोनों ही टीमें 2-2 की बराबरी पर रहीं, लेकिन चौथे और निर्णायक क्वार्टर और पलों में भारत का थोड़ा दुर्भाग्य और बेल्जियम के उम्दा खेल के मिश्रण से जीत बेल्जियम के पाले में जाकर बैठ गयी।
तीसरे क्वार्टर में दोनों ही टीमों को गोल दागने के कई मौके मिले, लेकिन दोनों का ही बचाव अच्छा रहा. नतीजन इस क्वार्टर में कोई गोल नहीं हुआ और मैच 2-2 की बराबरी पर रहा दूसरे क्वार्टर में बेल्जियम ने पिछड़ने के बाद फिर से वापसी करते हुए खुद को 2-2 की बराबरी पर ला दिया था।बेल्जियम के लिए दूसरा गोल पेनाल्टी कॉर्नर से हेंड्रिक्स ने किया, जो उनका टूर्नामेंट में 12वां गोल रहा । भारत ने अंतिम 11 मिनट के अंदर तीन गोल खाए। अब वह ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल में पराजित टीम से कांस्य पदक के लिये भिड़ेगी।
भारत की ओर से हरमनप्रीत सिंह ने पेनाल्टी कार्नर से (7वें) और मनदीप सिंह ने (8वें मिनट) गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये अलेक्सांद्र हेंड्रिक्स (19वें, 49वें और 53वें मिनट) ने तीन जबकि लोइक फैनी लयपर्ट (दूसरे मिनट) और जॉन जॉन डोहमेन (60वें मिनट) ने एक गोल किया। भारत ने आखिरी बार मास्को ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन वह म्यूनिख ओलिंपिक 1972 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा था. मास्को ओलिंपिक में मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे।
प्रधानमंत्री मोदी भी मैच देख रहे थे
इससे पहले भारत ने शानदार वापसी करते हुए शुरुआती दस मिनट में ही बेल्जियम के खिलाफ 2-1 की बढ़त बना ली थी। लेकिन दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में बेल्जियम को एक के बाद एक तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले, जो भारत ने बचा लिए, लेकिन कुछ देर बाद फिर से पेनल्टी कॉर्नर मिला, जो श्रीजैश नहीं बचा सके और बेल्जियम ने मुकाबले को फिर से बराबरी पर ला दिया। और जब यह बराबरी की गयी, तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सुबह-सुबह मैच देख रहे थे और उन्होंने इसे लेकर ट्वीट भी किया और टीम को शुभकामनाएं दीं।
चौथे क्वार्टर में पेनल्टी कॉर्नर की भरमार
बेल्जियम ने शुरुआत में ही पेनाल्टी कॉर्नर की हैट्रिक एक बार फिर से हासिल की। एक हैट्रिक बेल्जियम को पहले क्वार्टर में भी मिली थी. और पहले क्वार्टर से उलट इस बार बेल्जियम मिली हैट्रिक पर नहीं चूका और तीसरे प्रयास पर खतरनाक हेंड्रिक्स ने गोल दागकर बेल्जियम को 3-2 से आगे कर दिया. इस बढ़त के बाद मानो बेल्जियम को एक के बाद पेनाल्टी कॉर्नर वरदान में मिले.
बढ़त के बाद चंद ही मिनट के भीतर बेलिज्यम को चार पेनल्टी कॉर्नर और मिले. कुल मिलाकर बेल्जियम के लिए मैच में 14वां पेनल्टी कॉर्नर हिस्से में आया. और इसी संघर्ष में बेल्जियम को पेनाल्टी स्ट्रोक मिला, जिसे हेंड्रिक्स ने गोल में तब्दील करते अपनी टीम को 4-2 की बढ़त दिला दी। भारतीय इसके बाद हार मान बैठे और बेल्जियम ने समय काटने की रणनीति के तहत लंबे-लंबे पास देने शुरू कर दिए। मानो अभी भारतीय हार की ताबूत पर आखिरी कील ठोकनी बाकी थी और यह आई बिल्कुर आखिरी समय पर ।