लक्ष्मी कान्त द्विवेदी

केन्द्र सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद दुनिया की नजर में भ्रष्टाचार के मामले में भारत की रैंकिंग बेहतर होने के बजाय दो स्थान नीचे खिसकी है। हालांकि 2019 में भी भारत को 2018 के समान 100 में से 41 अंक मिले हैं, लेकिन अन्य देशों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से वह 78वें स्थान से 80वें स्थान पर पहुंच गया। बहरहाल दो पायदान नीचे खिसकने के बावजूद मोदी सरकार की स्थिति पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार की तुलना में बहुत बेहतर है। मनमोहन सरकार को 2012 व 2013 में 36 अंक और 2014 में 38 अंक मिले थे और वह इस अवधि में 85वें स्थान पर थी।

दुनिया भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक) 2019 के आधार पर 180 देशों की सूची जारी की है जिसके मुताबिक, डेनमार्क में भ्रष्टाचार सबसे कम है और वह पहले स्थान पर है। वैसे न्यूजीलैंड भी संयुक्त रूप से पहले नंबर पर है। भारत का नंबर 80वां है और उसके साथ चीन, बेनिन, घाना और मोरक्को हैं।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक, भारत और आस्ट्रेलिया की स्थिति में सुधार न आने की वजह चुनावी चंदे में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता की कमी, फैसला करने वाले अधिकारियों पर अनुचित दबाव और बेहद मजबूत कारपोरेट लाबी की दखलंदाजी है। वैसे चीन ने अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है और वह 2018 के 87वें स्थान से उछल कर भारत के बराबर 80वें पायदान पर आ गया।

पड़ोसी देशों में भूटान की स्थिति सबसे अच्छी है और वह 25वें नंबर पर है। पाकिस्तान की हालत बहुत खराब है और उसे 120वां स्थान मिला है। इसके अलावा श्रीलंका 93वें, नेपाल 113वें, मालदीव व म्यांमार 130वें और बांग्लादेश 146वें स्थान पर हैं।

सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देशों में डेनमार्क और न्यूजीलैंड के बाद फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नार्वे, नीदरलैंड, जर्मनी, लक्जमबर्ग आते हैं। सोमालिया को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश माना गया है और वह सबसे अंतिम 180वें पायदान पर है। दक्षिणी सूडान, सीरिया, यमन, वेनेजुएला, सूडान उससे पीछे हैं।

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