इस्लामाबाद। उल्टा चार कोतवाल को डाटे वाली कहावत सामने देखने को मिली जब
एलओसी पर भारत और पाकिस्तान के बीच फ़ायरिंग की घटनाओं के एक दिन बाद पाकिस्तान की सेना ने भारत पर पाकिस्तान में ‘अस्थिरता पैदा करने’ और आतंकवाद फैलाने के आरोप लगा दिए।

शनिवार को इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी और पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ़्तिख़ार ने एक डोज़ियर के आधार पर कहा कि ‘उनके पास इस बात के ‘सबूत’ हैं कि पाकिस्तान में होने वाली ‘आतंकी घटनाओं’ में भारत और उसकी ख़ुफ़िया एजेंसियां शामिल हैं।’

इसके बाद देर रात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी एक के बाद एक ट्वीट करते हुए इन्हीं आरोपों को दोहराया और अंतरराष्ट्रीय समुदायों से इस संबंध में भारत पर दबाव बनाने की पेशकश की।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय में एक घंटे की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान विदेश मंत्री और सेना के प्रवक्ता ने विभिन्न दस्तावेज़ों को पेश करके यह दावा किया कि ‘भारत पाकिस्तान के किन इलाक़ों और गिरोहों के ज़रिये आतंकी घटनाओं को कथित तौर पर बढ़ावा दे रहा है।’

शाह महमूद क़ुरैशी ने इस मौक़े पर कहा, “हमें अक्सर सबूत पेश करने को कहा जाता है।आज हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम सबूत इकट्ठा करके भारत के इरादों की तरफ़ ध्यान दिलाना चाहते हैं । “

उन्होंने कहा कि ‘आगे चुप रहना पाकिस्तान के हित में नहीं होगा। इस क्षेत्र के अमन और स्थिरता से समझौता भी नहीं होगा।’

प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि ‘पाकिस्तान ने आतंक की वजह से बहुत नुक़सान उठाया है जिसे (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर) स्वीकार भी किया जाता है।’

उन्होंने कहा कि 2001 से 2020 तक पाकिस्तान में 130 आतंकी हमले हुए हैं, 83,000 से ज़्यादा मौतें हुई हैं और 32,000 लोग ज़ख़्मी हुए हैं।

उन्होंने दावा किया कि हालिया दिनों में पेशावर और क्वेटा में हुई आतंकी घटनाओं में भारत शामिल था। ग़ौरतलब है कि इन आरोपों पर अब तक भारत की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘भारत अपनी ज़मीन पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आतंकी घटनाओं के इस्तेमाल के लिए अनुमति दे रहा है।’

वहीं, डायरेक्टर जनरल आईएसपीआर मेजर जनरल बाबर इफ़्तिख़ार ने आरोप लगाया कि भारत ने उन तमाम चरमपंथी संगठनों को अपना हिस्सा बना लिया जिनकी जड़ें पाकिस्तान से उखाड़ दी गई थीं।’

उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के अलगाववादियों के ज़रिए प्रांत में विद्रोह पैदा करने की कोशिश की जाती रही है और यह अब भी जारी है।

उन्होंने कहा, “कराची में अल्ताफ़ हुसैन के संगठन से जुड़े अलगाववादियों को हथियार देकर भारत की ओर से उन गिरोहों की आर्थिक मदद की जाती रही है।”

मेजर जनरल बाबर इफ़्तिख़ार ने आरोप लगाया कि ‘भारत अधिकतर चरपमंथी संगठनों से बातचीत क़ायम करके पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चरमपंथियों का एक गठबंधन बना रहा है।’

उन्होंने कहा, “उनमें देशभक्त संगठनों से अलग हुए कई गिरोह शामिल हैं। दूसरी ओर तहरीक़े तालिबान पाकिस्तान से अलग होकर अगस्त 2020 में अलहरार और हरकत उल-अंसार बनने के बाद भारत अब उनका एक व्यापक गठबंधन बना रहा है जिसमें प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ़्रंट और बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी से जुड़े अलगाववादी संगठन शामिल हैं। “

उन्होंने आरोप लगाया कि उन तमाम गिरोहों का समर्थन करने वाले और मास्टर प्लान तैयार करने वाले अफ़ग़ानिस्तान दूतावास में तैनात भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के एक कर्नल हैं।

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