रतन सिंह

इसकी आशंका पहले से थी कि बारिश 20-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में बड़ी बाधा डाल सकती है, क्योंकि न्यू साउथ वेल्स राज्य पर लो प्रेशर बना हुआ है, जिससे कई दिन से बरसात हो रही थी। गुरुवार को भी बारिश का साया एससीजी पर बना रहा और 90 मिनट के इंतिज़ार के बाद अम्पायरों ने सेमीफाइनल मैच रद करने का फैसला किया ।

इसी के साथ भारतीयों ने हर्षनाद कर प्रथम प्रवेश का जश्न मनाना शुरू कर दिया। दूसरी ओर इंग्लैंड समर्थकों के आंसू निकल आये। स्वाभविक है, क्योंकि रेन गॉड यानी इंद्र देव ने हमेशा उनसे बेवफाई की है। भारत मैच धुल जाने से इसलिए फाइनल में पहुंचा कि उसने ग्रुप मुकाबलों में कोई मैच नही हारा था जबकि इंग्लैंड को दक्षिण अफ्रीका ने हराया था। दूसरा सेमीफाइनल भी इसी मैदान में भारतीय समयानुसार 2 बजे से होना था।

मैच जब भातीय समयानुसार 10.50 पर रद हुआ तो भारतीय कप्तान ने राहत की सांस ली। उनका कहना था, खेलकर जीतना बेहतर होता, पर हम इसे स्वीकार करते हैं। ये नियमों के तहत है और कोई कुछ भी नही कर सकता। रिज़र्व डे पर फैसला दूसरों का काम है। लेकिन होता तो बढ़िया मैच होता। टीम प्रदर्शन पर बोलीं कि शेफाली को छोड़कर अन्य का प्रदर्शन सामान्य है। उम्मीद है कि फाइनल में सबका बेस्ट आएगा। अलबत्ता हमारी गेंदबाजी गजब रहीं हैं।

अंगेज कप्तान नाइट का कहना था कि ये हताश करने वाला रहा। हमने नही सोचा था कि सफर ऐसे थमेगा। साउथ अफ्रीका के हाथों मिली हार हमें कुछ ज्यादा ही महँगी पड़ी । यह सबक है कि स्पर्धा का आगाज़ अच्छे से किया जाए। जहां तक रिज़र्व डे की बात है तो इस पर विचार किया जाय। यह तो बहुत दिनों से कहा जा रहा है। फैसला जिम्मेदारों को लेना चाहिए।

इंग्लैंड की कप्तान से लेकर दूसरे भी पहले से मैचों में रिज़र्व डे की मांग करते रहे हैं। लेकिन इसे माना नही गया है । शायद आईसीसी के लिए अपना खर्च बचाना ज्यादा अभीष्ट है। माना कि स्पर्धा लंबी हो जाएगी, पर क्या यह न्यायपूर्ण नही होगा ? खेल आखिर किसके लिए है। दर्शक ही वंचित होगा। खिलाड़ी भी बिना खेले जीतेगा तो उसका अहं क्या संतुष्ट होगा। आत्मा तो कहेगी कि खेलकर नही जीते। किंतु-परंतु रह जायेगा उपलब्धियों में पलीता लगाने को।

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