एक हजार किमी तक मार कर सकेगी, पूरा पाकिस्तान और चीन के भारत से सटे इलाके होंगे जद में
लक्ष्मी कान्त द्विवेदी
मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से ही देश में सेना को मजबूत बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। इसी कड़ी में भारत अब अपनी नौसेना के लिए एक नयी हाईटेक सबसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने का काम शुरू करने जा रहा है, जो समुद्र से सतह पर एक हजार किमी तक मार कर सकेगी। इस प्रकार पूरा पाकिस्तान और भारत से सटे चीन के प्रमुख इलाके इसकी जद में होंगे। पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी इस मिसाइल को ब्रह्मोस के लांचर से ही दागा जा सकेगा, जिससे इसका खर्च भी काफी कम होगा।
ब्रह्मोस के लांचर से ही दागा जा सकेगा
दरअसल पाकिस्तान और चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत और समुद्री खतरे के मद्देनजर नौसेना ने इस तरह की मिसाइल की मांग की थी, जिसके बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को यह काम सौंपने की कवायद शुरू की गयी है। ओनमनोरमा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक भारत के तीस जंगी जहाज़ों पर ब्रह्मोस के लांचर लगाये जा चुके हैं और उन्हीं से इस मिसाइल को भी दागा जा सकेगा। सूत्रों ने बताया कि, अगले दो महीनों में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने और वर्ष 2023 में इसका पहला परीक्षण किये जाने की उम्मीद है।
काफी नीचे से उड़ान भरने से राडार को चकमा दे सकेगी
इस नयी मिसाइल को बनाने की जिम्मेदारी डीआरडीओ की बंगलुरू स्थित लैब को दी गयी है। गौरतलब है कि, इसी लैब ने देश की पहली सबसोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ को भी विकसित किया था। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस मिसाइल के बीस परीक्षण किये जाएंगे। यह पूरी तरह स्वदेशी होगी और काफी नीचे से उड़ान भरेगी, जिससे इसके राडार की पकड़ में आने का अंदेशा काफी कम होगा।
पांच हजार करोड़ में मिलेंगी 200 मिसाइलें
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह बुधवार को लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्सपो में पहुंचे थे और उन्होंने जल्दी से जल्दी इस मिसाइल का परीक्षण कर इसे नौसेना को सौंपने की इच्छा जताई थी। इसके सभी परीक्षण पूरे होने के बाद नौसेना इसका आर्डर देगी। सूत्रों ने बताया कि, ऐसी 200 मिसाइलों के लिए नौसेना को करीब पांच हजार करोड़ रुपये देने होंगे। यह मिसाइल शार्ट टर्बो फैन इंजन से चलेगी।
हवाई और पनडुब्बी संस्करण भी बनाया जाएगा
सूत्रों ने बताया कि, इस मिसाइल में देश में ही बने सीकर लगेंगे। इसका हवाई और पनडुब्बी संस्करण भी तैयार किया जाएगा। यह मिसाइल मिलने के बाद नौसेना एक हजार किमी दूर से ही दुश्मन को नेस्तनाबूद करने में सक्षम हो जाएगी।