रतन सिंह
जैसे जीवन के बारे में फलसफा है कि जिंदगी भर का अर्जित धन संध्या काल में चला जाता है, वही हाल भारतीय टीम का हैगली ओवल में दिखा। 4 विकेट पर 194 का स्कोर यही बता रहा था कि कमाई अच्छी हो रही है। लेकिन यही आत्म मुग्धता उसे ले डूबी। आक्रमण करने के उतावलेपन ने गलतियों के ढेर लगवा दिए। तीन अर्धशतक लगे , पर शतक नें नहीं बदले जा सके और इसका कारण अतिआक्रमकता रही। भारत ने चाय के पहले जो रन कमाए, उसका लाभ शाम हुई तो उसके हाथ से जा चुका था। भारत 242 पर सिमटा और बचे समय में कीवियों ने बिना नुकसान के 63 रन टाँग दिए थे। वे भारत से 179 रन पीछे थे। जेमिसन ने फिर भारतीय बालेबाजी की जान निकाल दी। 45 रन दे कर 5 विकेट लिए। भारत के अंतिम 6 विकेट 48 पर गिरे ।
भारत ने कयासों के उलट एकादश में ज्यादा बदलाव नहीं किये और इससे क्या होगा, इसे कुछ दिन में सब जान जाएंगे । अश्विन का मामला क्लासिक है। गेंदवाज हैं, लेकिन सज़ा मिली बल्ले से नाकाम होने की। ये सबक जंदगी का है, क्रिकेट के नही। और यही मानव नियति है। सदियों ने खता की, लम्हों ने सज़ा पाई। याद रखिये मेज़बानों की अकेली पारी में अश्विन ने तीन विकेट लिए थे। बल्ले से नाकाम भारत इतना दहल गया कि जडेजा सहित 8 बैट्समैन उतार दिए। मिला क्या, वही 242 रन।
अब फिर गेंदबाजों का आसरा, जो फिर कुल मिलाकर 4 ही हैं। बल्लेबाजों को देखिए, स्टार्ट लेकर रेस पूरा नहीं कर पाए। भारत न बदलाव के लिए तैयार था और न उसे करना था। पांचवा गेंदबाज भारत की रणनीति का कभी हिस्सा नही रहा। क्योंकि सभी जानते हैं कि उसकी मज़बूती ही उसकी सबसे बड़ी ताकत उसकी सबसे बड़ी कमजोरी रही है।
वह दिखी और अब अपने कमजोर कड़ी से मजबूती की आस लग गई है। जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है तो शॉ ने बेहतर जज्बा दिखाया, लेकिन आक्रमण ही डिफेंस की ढाल हो, ये तय नही। इसे ढालना पड़ता है, ये खुद सजता नही। पुजारा ने मिजाज बदला अवश्य पर अपनी शैली को त्यागा नही। पर आउट तो दूसरों जैसे हुए। विहारी भी 50 के पार गए, वो भी स्टेबल नही हो सके। जेमिसन कि तारीफ हो कि उन्होंने फिर 5 विकेट लेकर साबित किया कि वे फ्लूक नहीं हैं। भारत को भी अपने जेमिसन का इंतजार है। देखना है कौन बनता है।चिन्ता गुमराह के फार्म खो देने की है। जो स्ट्राइक बालर था वो विकेट को तरस रहा है।
इसके पहले पिच की ताजगी और घास की परत के साथ एकादश की संरचना को देखते हुए किवी कप्तान ने टॉस जीतते ही गेंदबाजी का फैसला किया। मेज़बानों ने एजाज पटेल के बदले वेगनर को खेलाया। भारत ने अश्विन पर से यकीन खोया और जडेजा आए। बल्ले से रन न बनने का दंड एक गेंदबाज को दिया गया, जिसने चार दिन पहले तीन विकेट लिए था। उमेश का आना इशांत के चोटिल हो जाने के बाद ही तय था। लेकिन मेहमानों को पहला झटका मयंक के रूप में लगा जो 7 रन बनाकर बोल्ट की गेंद पर एलबीडबल्यू हुए क्योंकि फुल लेंथ गेंद ऑफ से मिडल स्टंप पर आई और बल्लेबाज चूक गया था दूसरी ओर शॉ ने टीम प्रबंधन के जताए यकीन के मद्देनजर तेज आगाज़ किया। विकेट के दोनों ओर शॉट्स लगाए। भारत शुरुआती खतरा टालता दिखा। पर फिर शॉ का एडवेन्चर उन्हें पैवेलियन में पहुंचा गया। वेगनर को पुल के जरिये सिक्स मारकर 61 गेंदों पर अर्धशतक पूरा करने वाले शॉ जेमिसन की लेग स्टंप लेग की बाहर की गेंद को पुल करने में कीपर को कैच दे बैठे। लंच के बाद कोहली (3 ) की नाकामी का सिलसिला लंबा खींचा जब साउदी ने गेंद अंदर लेकर विराट को स्टंप के सामने पकड़ा जब बल्लेबाज ऑन साइड में खेलने नें चूक गया था। रहाणे (7 ) जमते दिखे , पर साउदी की आगे की गेंद जो ऑफ स्टंप के जरा बाहर गिरकर निकली और अजिंक्य के बाल का एज लेकर स्लिप में टेलर के हाथों में चली गई। 113 पर चार विकेट खोकर भारत फंस गया था, लेकिन पुजारा और विहारी ( 55 ) ने 81 रन की भागीदारी से दोपहर सुखद बनाया ही था कि फिर स्ट्रोक लगाने का जनून विहारी को ले बढ़ा। चाय के पहले के अंतिम ओवर में वेगनर की लेग स्टंप के बाहर की गेंद पुल करने में विहारी कीपर को कैच देकर चलते बने और यही भारत धराशायी हो गया। पुजारा भी पुल खेलने में आउट हुए और फिर लाइन लग गई। भारत 36 गेंदों में 22 पर 5 विकेट खो बैठा। शमी और बुमराह ने बल्ला भांज कर उपयोगी रन जुटा दिए। जेमिसन के अलावा बोल्ट व साउदी ने 2-2 विकेट लिए।