नयी दिल्ली/इस्लामाबाद। हालांकि भारत ने पाकिस्तान के ननकाना साहिब की घटना को मुस्लिमों के दो गुटों के बीच संघर्ष बताने पर आधिकारिक रूप से कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि, इस्लामाबाद इस घटना के वीडियो को कैसे झुठला सकता है। इस बीच भाजपा ने ननकाना साहिब की घटना का उदाहरण देते हुए कहा है कि, इससे नागरिकता कानून की उपयोगिता सिद्ध होती है।
गौरतलब है कि, करतारपुर कारिडोर खोल कर सिखों को अपने पक्ष में कर खालिस्तानी आतंकवाद भड़काने और उसके जरिए भारत के लिए संकट पैदा करने की पाकिस्तान की साज़िश को ननकाना साहिब की घटना से तगड़ा झटका लगा है। पहले तो पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादिरी ने गुरुद्वारे पर हमले की घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि, इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन सिख ग्रंथी की बेटी के अपहरण के आरोपित मोहम्मद हसन के परिजनों और पड़ोसियों ने किया था। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया था कि, वह अपनी घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए एक सामान्य सी घटना को अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बता कर प्रचारित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन कुछ देर बाद ही पाकिस्तान के आंतरिक और विदेश मंत्रालयों ने कहा कि, सिखों और गुरुद्वारे पर हमले जैसी कोई बात नहीं थी। यह मुस्लिमों के ही दो गुटों के बीच संघर्ष का नतीजा था । आंतरिक मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि, सकलैन और मुमताज अली नामक दो लोग गुरुद्वारे के पास स्थित एक चाय की दुकान पर खड़े थे। वहां उन्होंने अपनी चाय के कप में मक्खी होने की शिकायत की। इस पर दुकान के मालिक जमान (हसन के चाचा), इफ्तिखार और अदनान (हसन के भाई) ने उन पर हमला कर दिया, जिसे लेकर उक्त घटना हुई।
नागरिकता कानून के विरोधी देख लें ननकाना साहिब की घटना- मीनाक्षी
इस बीच भाजपा की प्रवक्ता एवं सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि, जो लोग दिल्ली के शाहीन बाग और केरल समेत देश के विभिन्न भागों में नागरिकता कानून के खिलाफ धरना दे रहे हैं, उन्हें ननकाना साहिब की घटना से समझ लेना चाहिए कि, तीनों पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक कितने असुरक्षित हैं।