वाराणसी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर गुरुवार को मुंशी प्रेमचंद्र के गांव लमही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मंदिर का लोकार्पण हुआ। इसे सुभाष चंद्र बोस का दुनिया का इकलौता मंदिर बताया जा रहा है। विधिवत पूजन अर्चन के बाद 11 फीट ऊंचे मंदिर में छह फीट की नेताजी बोस की प्रतिमा का लोकार्पण आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार और पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने नारियल फोड़कर किया। ढोल-नगाड़े के बीच जय हिंद, भारत माता की जय का उद्घोष गूंजता रहा। इस अवसर पर मंदिर को सुभाष तीर्थ घोषित किया गया। मंदिर की पुजारी दलित बेटी खुशी रमन भारतवंशी को नियुक्त किया गया है।

गुरुवार की सुबह महंत बालक दास के सानिध्य में वेदपाठियों ने विधिवत पूजन किया। इंद्रेश कुमार ने कहा कि नेताजी के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं। वह मां भारती के साधक थे। उन्होंने पवित्र भाव से अपना जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। किसी महापुरुष के नाम से यह विश्व का पहला मंदिर है। सुभाष के अनुयायी यहां आकर दर्शन कर सकते हैं।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि यह मंदिर न केवल नेताजी के विचारों को प्रतिस्थापित करेगा, बल्कि देश को जोड़ने का सूत्र भी बनेगा। पर्यटन का केंद्र भी बनेगा। महंत बालकदास ने कहा कि यह मंदिर हर भारतवासियों की प्रेरणा है। मंदिर के संस्थापक राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि मंदिर में प्रतिदिन भारत माता की प्रार्थना, आरती और आजाद हिंद सरकार का राष्ट्रगान होगा। गर्भवती महिलाओं के दर्शन के लिए भी विशेष व्यवस्था रहेगी।

इस अवसर पर काशीमुद्रा एवं धर्मयात्री प्रमाण पत्र का लोकार्पण भी इंद्रेश कुमार सहित अन्य अतिथियों ने किया। डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि यहां काशी तीर्थ का दर्शन करने वालों को धर्मयात्री प्रमाण पत्र दिया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान करने वाले 10 विशिष्ट लोगों का नेताजी सुभाष पुरस्कार दिया गया। इनमें पं. ऋषि द्विवेदी, प्रो. रमा देवी निमन्नपल्ली, सत्येंद्र श्रीवास्तव, नीतीश पाण्डेय, प्रमोद कुमार, डॉ. भोलाशंकर गुप्ता, सलोनी शाह, आदित्य कुमार गुप्ता, मनीष खत्री शामिल रहे।

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