21 मार्च से शुरू हो जाएंगे गौरा के गौने का लोकाचार
वाराणसी। औघड़दानी बाबा की काशी भी अनूठी और निराली है। यहां महाशिवरात्रि पर महादेव और महामाया के विवाह के उपरांत रंगभरी एकादशी पर भगवान शंकर, माता पार्वती का गवना कराते हैं। इस उपलक्ष्य में महंत आवास 21 मार्च से 24 मार्च तक के लिए गौरा के मायके में तब्दील हो जाएगा। यह परंपरा 356 वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है। इस वर्ष रंगभरी एकादशी उत्सव का 357वां वर्ष है।
ये है द्विरागमन का कार्यक्रम
24 मार्च को गवना की रस्म से पहले लोकाचार की शुरुआत 21 मार्च से टेढ़ीनीम स्थित नवीन महंत आवास पर होगी। 21 मार्च को गीत गवना, 22 मार्च को गौरा का तेल-हल्दी होगा। 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा। बाबा के ससुराल आगमन के अवसर पर विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के सदस्य श्रीशंकर त्रिपाठी ‘धन्नी महाराज’ के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा स्वतिवाचन, वैदिक घनपाठ और दीक्षित मंत्रों से बाबा की आराधना कर उन्हें रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। इस वर्ष होने वाले समस्त धार्मिक अनुष्ठान अंकशास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी के संयोजकत्व में महंत परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाएंगे।
अन्नपूर्णा एवं मंगलागौरी मंदिर से आएगा गौरा का सिंदूर
24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी। भोर में चार बजे 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक होगा। गौरा की मांग में सजाने के लिए सिंदूर लाने की रस्म महंत परिवार की महिलाएंं पूरी करेंगी। गौरा के लिए अन्नपूर्णा मंदिर और मंगला गौरी मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रहों से सिंदूर लाया जाएगा।
तैयार हैं गौरा शंकर के शाही परिधान
बाबा के लिए खादी के शाही वस्त्र बनकर तैयार हैं। बाबा के परिधानों की सिलाई टेलर मास्टर किशनलाल ने की है। विगत दो दशक से वही बाबा के परिधान सिल रहे हैं। इस बार परिधान निर्माण में उनकी शिष्या इंटर की छात्रा नम्रता टण्डन ने सहयोग करते हुए माता के परिधान पर हाथों से कढ़ाई की है। बाबा की अकबरी पगड़ी केशवदास मुकुंदलाल गोटावाले नारियल बाजार चौक की ओर से सजाई जाती है। पगड़ी को आकार मोहम्मद गयासुद्दीन देते हैं। फर्म के संचालक नंदलाल अरोड़ा कहते है जो पगड़ी बाबा धारण करते हैं वह हमारे पूर्वजों के समय से बनती आ रही है। इसकी साजसज्जा, कलगी पर जरी की बूटी, नगीना हम अपने हाथ से सजाते हैं।