ओह ! ऐसे हो रही है घर वापसी ! कलेजा मुह को आ जाता है इसे देख कर।
पंजाब से पैदल लौट रहे मजदूरों के साथ आ रहा बच्चा थक गया तो उसकी मां ने उसे ट्रॉलीबैग पर ही सुला दिया और खुद बैग खींचती रही
ये मज़दूर पंजाब से उत्तर प्रदेश के महोबा जाने के लिए निकले हैं
यह वीडियो आगरा का बताया जा रहा है

मत लौट के आना कृतघ्न महानगरो की ओर, अपने गांव मे ही खडी करना विकास की इभारत

रतन सिंह

बिस्किट के पैकेट, पॉलीथिन में पूड़ियां, बिखरी हुई चप्पलें..। यह सब बताने के लिए काफी था कि बुधवार की देर रात यहां मुजफ्फरनगर में क्या हुआ। नहीं थीं तो वे लाशें, जो कुछ देर पहले लाशें नहीं थीं। घर पहुंचने की धुन में खोये इंसान थे। किसी को नहीं मालूम था, कि उसी जैसा इनसान, उनकी जिंदगी की सांसों की डोर खींच देगा। बस आई और कुचल गई सब कुछ। मजदूरों की लाशें बिछ गई। गिने गए तो छह थे।

इसी तरह एमपी के गुना में हुए हादसे में आठ की मौत हो गई। बिहार के समस्तीपुर में मजदूरों को ले जा रही बस और ट्रक में दो की मौत हो गई।

लेकिन ये महज संख्या नहीं। देश को गढ़ने वालों की नियति की क्रूर कहानी है। लॉकडाउन में जिंदगी अनिश्चितता के भंवर में फंसी तो वही घर याद आया, जिसे कभी ये सोचकर त्याग दिया था कि तेरी जमीन तो है, पर छाजन छीज गई। यानी यहां जिंदगी नहीं है। आसमान की ओर देखने वाले शहर आ गए कि काम करेंगे तो पेट भरेगा। जीवन चलने लगा, गांव को भुला दिया। लेकिन कोरोना के कहर से उपजी भूख ने जिंदगी की फिर सुध ली। उसी त्याज्य घर को गले लगाने दौड़े और बीच रास्ते मौत के गले लग गए। जिंदगी कहीं की न रही। लेकिन जो मजदूर गांव लौट रहा है, उसे अब फिर शहर लौटने को लेकर सोचना पड़ेगा। उसे अपने दर पे ही चादर बिछानी होगी। कहीं और दामन फैलाने का लाभ क्या। सरकारों की आंखें खुल जानी चाहिए कि पैसे खर्च हो रहे हैं तो दान की शक्ल में न हों। उसी से गांव में रोजगार खड़ा हो। परदेश की अट्टालिकाएं बनाने वाले खुद बेघर और जमीन पर खड़े हैं। कोरोना का सबसे बड़ा सबक यही होगा कि गांवों में विकास की इमारतें बनें। इस वक़्त मजबूरी में लोग गांव को गुलजार किये बैठे हैं। लेकिन यही खुशी से हो तो कैसा रहेगा। इसके लिए ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ाने का यही वक़्त है।

जहां तक मुजफ्फनगर के हादसे का सवाल है तो छह ने अपनी जान खो दी, क्योंकि बस चालक ने उन पर बेरहमी से वहां चढ़ा दी थी। छह की मौत हो गई जबकि चार घायल हो है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। हाइवे पर हुआ हादसा बेहद दर्दनाक था। बिहार में गोपालगंज जिले के निवासी कई मजदूर पंजाब में मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन में वहीं। फंसे रह गए। वक्त ज्यादा बीता तो पैदल ही सफर करना तय किया। आखिर अपनी मंजिल पर निकल पड़े। पंजाब से सहारनपुर-मुजफ्फरनगर के रास्ते वह पैदल आगे बढ़ रहे थे। रोहाना टोल प्लाजा पर मजदूरों पर मौत ने झपट्टा मार दिया। काल बनकर आई रोडवेज बस ने 6 मजदूरों के परखचे उड़ा दिए।

मप्र के गुना में बस और ट्रक की टक्कर में आठ मजदूरों की मौत हो गई और 40 घायल हो गए। ये सभी महाराष्ट्र (Maharashtra) से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) आ रहे थे। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बिहार के समस्तीपुर के पास प्रवासी मजदूरों की बस, ट्रक से टकरा गई। यह हादसा भी देर रात हुआ। इसमें दो लोग मारे गए और 12 जख्मी हो गए। बस मुजफ्फरपुर से कटिहार जा रही थी। बस में 32 मजदूर सवार थे।

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