लक्ष्मी कान्त द्विवेदी
केन्द्र सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का नया पद सृजित कर तीनों सेनाओं की कमान जनरल बिपिन रावत को सौंपने के साथ ही तेरह लाख सैनिकों वाली इस विशाल फौज के पुनर्गठन की जो कवायद शुरू की गयी थी, वह अब भी जारी है।
सेना ने राष्ट्रीय राइफल्स के निदेशालय को नयी दिल्ली से कश्मीर स्थित उत्तरी कमान स्थानांतरित कर उपसेनाध्यक्ष (रणनीति) पद के गठन का रास्ता भी साफ कर दिया है।
गौरतलब है कि, 2017 में जून से अगस्त तक भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले डोकलाम विवाद के एक उपसेनाध्यक्ष (रणनीति) की जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की गयी थी। उस समय सिक्किम-तिब्बत-भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम में भारत और चीन की फौजें आमने-सामने डटी हुई थीं और दोनों पक्षों ने थल सेना की बटालियनों, टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों, तोपखानों और मिसाइलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की थीं। उस समय स्थिति से परम्परागत तौर-तरीकों से निबटा गया था, यानी जनरलों की एक तदर्थ समिति गठित की गयी थी। लेकिन समिति गठित करने, उसकी बैठकें बुलाने और जरूरी सैनिकों और अन्य साजो-सामान जुटाने में समय की काफी बरबादी और ढांचागत एकरूपता के अभाव के मद्देनजर एक उप स्थल सेनाध्यक्ष (डीसीओएएस) की जरूरत महसूस की गयी थी। सैन्य मुख्यालय में सैन्य अभियानों के तमाम महानिदेशक जैसे- महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ), महानिदेशक खुफिया विभाग (डीजीएमआई), महानिदेशक सैन्य साजो-सामान (डीजीओएल), महानिदेशक संबंधित योजना (डीजीपीपी) और महानिदेशक सूचना युद्ध (डीजीआईडब्ल्यू) इस उपसेनाध्यक्ष के अधीन होंगे। इस पद के सृजित होने के बाद किसी बड़े संकट की स्थिति में ये पांचों महानिदेशक सीधे उपसेनाध्यक्ष (रणनीति) को रिपोर्ट करेंगे। सैन्य मुख्यालय के इस पुनर्गठन को जल्दी ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इसमें सरकार को न तो कोई खास रकम खर्च करनी है और न ही लेफ्टिनेंट जनरल का कोई नया पद सृजित करना है।