विशेष संवाददाता

नई दिल्ली | कांग्रेस धरातल खोती जा रही है । कई दिग्गजों के पार्टी छोड देने से अनेक ऐसे राज्य हैं जहाँ नेतृत्व के नाम पर शून्य की स्थिति हो चुकी है।

नवीन कडी में हैं मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनके कांग्रेस छोड़ने के बाद से पार्टी की पतवार विहीन स्थिति एक बार फिर से उजागर हो गई है। इसके बाद से पार्टी में एक बार फिर से युवा बनाम बुजुर्ग नेतृत्व की चर्चा तेज हो गई है। पार्टी छोड़ने वाले सिंधिया अकेले नेता नहीं हैं। हिंदी पट्टी के कम से कम तीन और ऐसे नेता हैं जो पार्टी नेतृत्व से नाखुश चल रहे हैं।

ये लोग पार्टी से बाहर अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि पिछले छह वर्षों में कई असफलताओं के बावजूद पार्टी नेतृत्व के ढुलमुल रवैये ने नेताओं में निराशा को बढ़ाया है, और कई युवा नेताओं को अधीर कर दिया है। कई राज्यों में नेतृत्व के नाम पर शून्य की स्थिति बन गई है।

साल 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से करीब आधा दर्जन से अधिक पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन पूर्व मुख्यमंत्री, कई प्रदेशाध्यक्ष पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। एक युवा कांग्रेसी नेता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी जाग जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो कुछ भी नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी को यह महसूस होना चाहिए कि वह क्या करना चाहती हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण समय हैं… लेकिन मुझे संदेह हैं कि कुछ भी बदलेगा।

कांग्रेस से तीन पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड से विजय बहुगुणा, छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी और ओडिशा से गिरधर गमांग पार्टी छोड़ चुके हैं। जिन पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने पार्टी छोड़ी है उनमें तमिलनाडु से जीके वासन, आंध्र प्रदेश से किशोर चंद्र देव, तमिलनाडु से जयंति नटराजन, कर्नाटक से एसएम कृष्णा, यूपी से बेनी प्रसाद, ओडिशा से श्रीकांत जेना और गुजरात से शंकर सिंह वाघेला के नाम शामिल हैं।

पार्टी छोड़ने वालों में जो प्रदेश अध्यक्ष हैं उनमें हरियाणा से अशोक तंवर, यूपी से रीता बहुगुणा जोशी, आंध्र प्रदेश से बी. सत्यनारायण, असम से भुवनेश्वर कलीता, उत्तराखंड से यशपाल आर्य और बिहार से अशोक चौधरी का नाम शामिल है। कांग्रेस छोड़ने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में असम में हेमंत बिस्वा सरमा, , अरुणाचल में प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, त्रिपुरा में सुदीप रॉय बर्मन और मणिपुर के मौजूदा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का नाम भी शामिल है।

राजस्थान, महाराष्ट्र और यूपी के युवा मगर कद्दावर नेता जल्द ही पार्टी से किनारा करने की फिराक में हैं ।

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