पदम पति शर्मा

शेष विश्व की तरह भारत मे भी कोरोना वायरस का खौफ तारी है। हालात इस कदर पहुंचे हुए हैं कि आधे से ज्याद राज्य इसे महामारी घोषित कर चूके हैं । अर्थ व्यवस्था चरमरा गयी है। आयात-निर्यात पर लगभग ब्रेक लग चुका है। शेयर बाजार लगातार नीचे जा रहा है। दुनिया भर मे लगभग डेढ लाख इस खतरनाक वायरस की चपेट मे हैं । पांच हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं । भारत मे भी दो मौते हो चुकी हैं और 96 संक्रमित बताए जाते हैं ।

सामाजिक गतिविधियां लगभग ठप है। सार्वजनिक समारोह से लोग बच रहे हैं । एक सप्ताह तक चलने वाला होली मिलन रस्म अदायगी बन कर रह गया। खेल गतिविधियां ठप पड चुकी हैं । खेल मैदानों पर सन्नाटा पसर चुका है। संसद का बजट सत्र चल रहा है। इसकी भी दर्शक दीर्घा सूनी दिखेगी। आगन्तुकों के संसद में प्रवेश पर रोक लग चुकी है। यहां तक कि हर वर्ष होने वाला पद्म अलंकरण वितरण समारोह भी स्थगित किया जा चुका है।

देश के आधे से भी बडे भाग के समस्त शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश राज्य सरकारें जारी कर चुकी हैं । यूपी में भी स्कूल कालेज 22मार्च तक बंद कर दिए गए हैं । यह वाकई उचित कदम है। मगर ‘परीक्षाएं चलती रहेगी’ की बात समझ से परे है। सांसदो में खौफ है कि संसद भवन मे आगन्तुक प्रवेश न कर सकें अन्यथा वे भी इस तेजी से फैलने वाले वायरस की चपेट में आ जाएँगे। लेकिन केन्द्र और राज्य सरकारों को देश के उन नौनिहाल परीक्षार्थियों की चिन्ता नहीं जो सैकडों और हजारों की संख्या में परीक्षा केन्द्रो पर एकत्र हो रहे हैं। जब हर गतिविधि निलम्बित और स्थगित की जा रही है तो परीक्षाएं जारी रखने का क्या औचित्य है।

इस बाबत आपात बैठक बुला कर केन्द्र और राज्य सरकारें परीक्षाओं को भी तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय करें। क्योकि छात्रों मे यदि संक्रमण हुआ तो फिर हमारी हालत भी चीन, इटली और ईरान जैसी भयावह हो जाएगी। संभाले नहीं संभलेगी स्थिति। लेकिन यदि अब भी इस ओर आँखे बद रखी गयीं तो यही समझा जाएगा कि अन्य सारी रोक महज पाखंड है।

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