मैं 2003 से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति से दूर हूँ| वर्तमान समय मे विपक्ष निस्तेज है, अक्षम है, साखहीन है| इसलिये विपक्ष की ओर से कोई भी बात कही जाती है तो उसका सरलता से अवमूल्यन हो जाता है| “Lebelling, Trolling के माध्यम से अन्य लोगों की असहमति के स्वर को कुंद कर दिया जाता है|” विपक्ष के सवालों का जवाब देना जरूरी नहीं समझा जाता|
दुर्भाग्य से अधिकांश बार मज़ाक के विषय स्वयं बन भी जाते हैं!
“टीवी में बहस तो शोर-शराबे से अलग सार्थक भूमिका निभाती नही दिखती| ऐंकर कई बार पक्षधर की भूमिका मे रहता है|” “राजनैतिक कार्यकर्ता, अंधभक्त और अंधविरोधी के साथ मे विवेक, वस्तुपरकता, सत्यनिष्ठा, मानवीय संवेदनशीलता से दूर जा रहा है|” “यह लोकतंत्र में शिष्टता, मर्यादा को तिलांजलि दोनों और से ही दी जा रही है| ऐसी कटुता बढना अच्छी बात नही है|” “राजनैतिक संवाद को व्यक्तियों और आरोपों के बाहर सद्भावपूर्ण विश्वास युक्त संवाद से कैसे बदला जाय यह सामयिक चुनौती है|”