एक तरफ चीन समेत अधिकतर देश कोरोना से पीड़ित हैं औऱ किसी को कुछ समझ में नही आ रहा है कि क्या तोड़ निकल जाए। लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना को परे रख।

जो यूरोप और अमेरिका खुद को बीमारियों से मुक्त मानते थे, अब थर्ड वर्ल्ड के देश singapore और Hongkong की ओर देख रहे हैं कि कैसे वे इससे बचे रहे। जो इन दोनों ने किया वो मिसाल है।

तो क्या इन दोनों देशों के पास कोई अलग तकनीक या दवा थी, कि यहां संक्रमण पर काबू पा लिया गया? पहले से एक प्लान होना और उस पर अमल होना ही असल बात थी।

सबसे पहले बात करते हैं सिंगापुर की। यह एक ऐसा राज्य है, जहां इस वायरस के खतरे को पहले ही भांप लिया गया था क्योंकि साल 2003 में यहां सार्स का खतरा देखा जा चुका था। सार्स के पिछले संक्रमण के दौर से सबक लेते हुए जैसे ही दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का दौर शुरू हुआ, सिंगापुर ने अपना प्लान तैयार किया।

सिंगापुर के मुख्य स्वास्थ्य वैज्ञानिक टैन चुआन ने कहा भी था कि ‘संक्रमण से निपटने का सबसे कारगर तरीका पहले से तैयारी कर जल्द कदम उठाना ही है’। असल में टैन ने ही सार्स के दौर में सिंगापुर के स्वास्थ्य सेक्टर के ढांचे को मज़बूत करने के कारगर कदम उठाए थे।

सिंगापुर में कोरोना वायरस का पहला केस सामने आने से पहले सारी लैब्स टेस्ट के लिए तैयार थीं और एयरपोर्ट पर विदेशों खासकर चीन से आने वाले यात्रियों के टेस्ट शुरू कर दिए गए थे। इसके अलावा, जल्दी उठाया गया एक और अहम कदम। ये था प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को लोक स्वास्थ्य मुस्तैद क्लीनिक यानी विशेष क्लीनिकों के तौर पर विकसित किया गया जहां सांस की बीमारी के इलाज की पूरी सुविधा थी।

फरवरी के मध्य तक ऐसी करीब 900 क्लीनिक सक्रिय थी। इससे अस्पतालों पर दबाव कम हुआ और अस्पतालों में ही संक्रमण फैलने की आशंका भी कम हुई।

संक्रमितों के लिए अस्पतालों में व्यवस्था

एक तरफ ऑस्ट्रेलिया जैसे देश कोरोना वायरस से संक्रमित उन लोगों को घर पर ही रहने की हिदायत दे रहे थे, जिनमें लक्षण हल्के दिखे थे, लेकिन इसके उलट सिंगापुर ने हर संक्रमित को आबादी से दूर कर विशेष तौर पर तैयार किए गए अस्पतालों में रखा। संक्रमण के लक्षण खत्म होने के बाद ही उन्हें छुट्टी दी गई।इससे संक्रमण की सामुदायिक चेन बनने की आशंका बहुत कम हुई।

कॉंटैक्ट ट्रैसिंग का कारगर हथियार

कोविड 19 के मामलों में जो भी संक्रमित पाया गया, स्वास्थ्य मंत्रालय ने उस व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक कॉंटैक्ट्स का पूरा ब्योरा छाना कि वह पिछले कुछ दिनों में किस किससे मिला और कहां कहां गया।
इससे संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें क्वारैन्टीन करने में काफी मदद मिली। इस कदम से ही आशंका के आधार पर संक्रमण के टेस्ट करने में भी सुविधा हुई।

टास्कफोर्स ने जागरूक किया

सिंगापुर में कोरोना वायरस का कहर टूटे, इससे पहले ही सरकार ने न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि कुछ और मंत्रालयों के प्रतिनिधियों का एक टास्क फोर्स बनाया, जिसका काम लोगों को रोज़ाना के अपडेट देना और सावधानी के उपाय बताने वाले संदेश देना था। सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं चीनी, अंग्रेज़ी, मलय और तमिल में जल्द ही वॉट्सएप अपडेट सरकार की तरफ से शुरू किए गए।
इसके साथ ही, कार्टून सीरीज़ बनाकर सतर्कता के उपायों को समझाने, प्रधानमंत्री और अधिकारियों को लगातार जनता से संवाद करने जैसे कदम बहुत पहले से उठाए गए ताकि लोग सेल्फ आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइज़र व हैंड वॉश जैसे सतर्कता उपायों को अमल में लाएं।

हांगकांग ने ये कदम उठाए

हांगकांग में कोरोना वायरस का पहला केस 23 जनवरी को सामने आया था, लेकिन हांगकांग ने इससे करीब एक महीने पहले से ही कोरोना वायरस के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। सिंगापुर की ही तरह जल्दी, समय रहते और प्रो-एक्टिव तरीके से हांगकांग ने भी कारगर कदम उठाए।

कैसे संक्रमण पर काबू पाया हांगकांग ने? सिंगापुर की तरह ही हांगकांग भी दुनिया भर के लिए इस मामले में मिसाल बनकर सामने आया। 4 जनवरी को ही हांगकांग ने कोविड 19 के खतरे को भांपकर कदम उठाने शुरू कर दिए थे। असल में, सार्स का खतरा हांगकांग भी उठा चुका था और चीन का करीबी होने के कारण सिंगापुर की तरह ही पिछले संक्रामक दौर से सबक हांगकांग के पास भी थे।

नहीं बने सख्त लॉकडाउन के हालात

हांगकांग ने जनवरी के महीने के आखिर तक संक्रमण का पहला मामला सामने आते ही स्कूल बंद करवा दिए थे। साथ ही, लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की और इस कारगर तरीके से लोगों को जागरूक किया कि पूरी तरह सख़्त लॉकडाउन की स्थिति बने ही नहीं और फोर्ब्स की रिपोर्ट की मानें तो हुआ भी ऐसा ही।

ज़्यादा टेस्टिंग और आइसोलेशन

सिंगापुर की तरह ही हांगकांग ने भी बड़े पैमाने पर आंशकाओं के आधार पर टेस्ट किए और संक्रमित व्यक्तियों को आइसोलेशन में रखा ताकि सामुदायिक संक्रमण की स्थिति न बने। हांगकांग और सिंगापुर में हालांकि अब भी कुछ प्रतिबंध हैं लेकिन आम जनजीवन सतर्कता बरतते हुए तकरीबन सामान्य ही है।

तीसरे दौर के लिए पूरी तैयारी

सिंगापुर और हांगकांग दोनों ही देश इस संक्रमण के दो दौर पिछले करीब दो से ढाई महीनों के दौरान देख चुके हैं और सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक अब तीसरे दौर की आशंकाएं हैं। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस संक्रमण का तीसरा दौर और नुकसानदायक ढंग से सामने आएगा। लेकिन टेस्टिंग, आइसोलेशन और कॉंटैक्ट ट्रैसिंग के तमाम उपायों के साथ प्रो-एक्टिव ढंग से पूरी स्वास्थ्य मशीनरी मुस्तैद है।

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