रतन सिंह
कभी न्यूज़ीलैंड का नाम सुनकर लगता था कि किसी सुदूर या दुरूह चीज का जिक्र हो रहा है। भारत क्रिकेट खेलने जाता तो भारतीय यही सोचते कि पता नही क्या जगह है ये। आमजन का सरोकार कम ही रहता था। लेकिन समय बदला और तेज़ी से बदला। दुनिया छोटी हो गई। सूचना के माध्यम बदल गए। शुक्रवार को भारत में अधिकतर लोग जब सोए होंगे तो न्यूज़ीलैंड के इस शहर के मैदान में भारत और न्यूज़ीलैंड एक दूजे से पंजे टकरा चुके होंगे। विंडी वेलिंगटन का यह मैदान भारत की उम्मीदों का गवाह बन चुकेगा कि इस बार टीम इंडिया सफल होने होगी।
यह मैदान भारत के लाख मजबूत होने का दावा ठुकराता रहा है। भारतीयों का जोर यहां की मजबूत दीवारों से टकराकर पस्त होता रहा है। पर अबकी मेहमानों की तैयारी और टीम सज़्ज़ा अलग है। भारत की तगड़ी है और यही उसे जीत का दावेदार बना रही है। 11 साल पहले धोनी की अगुआई में सीरीज़ जीती थी भारत ने। लेकिन बदले वक़्त में नज़रिया बदलना बेहतर होगा।
भारत के लिए अच्छा ये है कि इशांत शर्मा फिट होकर आ गए हैं। शुक्रवार को उन्होंने एक घंटा नेट में बिताया। कोहली को कई बार परास्त कर कप्तान की तारीफ हासिल की। चूंकि इशांत की एक लेंथ पर टप्पा बहुत स्थायित्व भरा है इसलिए वह बैट्समैन का सिरदर्द बढ़ाते हैं।इस चीज ने उनकी मारक सामर्थ्य बढ़ा दी है । बुमराह का एक्शन कितनो को असहज कर देता है। वे यहां की कंडीशन में खतरनाक साबित होंगे। हांलाकि कीवी उन्हें खतरा न मानकर ध्यान हटाने का बहाना भले करें, पर सच यही है उनकी पुतली इधर ही होगी। शमी हर वातावरण के गेंदबाज़ हैं और उनके बारे जितना बोलें कम होगा। मामला फोर्थ बॉलर का है तो अश्विन और जडेजा में होड़ है। वरीयता अश्विन को मिलेगी क्योंकि उनमें विविधता है और बैटिंग भी करने में समर्थ हैं। टेस्ट में शतक भी लगा चुके हैं।