डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व कांग्रेसी विधायक
शहर दक्षिणी वाराणसी
उत्तर प्रदेश

फेंक कर एक पत्थर और, वक्त की आवाज पर, देखते हैं हम कि बंद शीशों के घरों में रहने वाले लोग बाहर निकलते हैं, कि नहीं निकलते हैं। थक कर लेट गई हैं, खाटो पर जो आस्थाओं की मीनारें, उनमें फंसे हुए कबूतर खुले आसमान में उड़ते हैं कि नहीं उड़ते हैं।

1946 से 2020 तक हम भारतवासियों के साथ जो जनवादी विश्वासघात हुए है। हम चाहते हैं कि वर्तमान भारत सरकार उस पर श्वेतपत्र जारी करे । ताकि इन इच्छाधारी भेष बदलने वाले आस्तीन के सांपों के क्रियाकलापों के बारे में, हर भारतीय जान सके और इन्हें पहचान सके ताकि भविष्य में इनके विषैले देशद्रोही दंश से हम बचे रहें।

मैं उन देशभक्त गांधीवादी,अंत्योदय और अहिंसा में विश्वास रखने, देश पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले ऋषि तुल्य उन कांग्रेसियों से पूछना चाहता हूं कि, भीष्म पितामह गुरु द्रोणाचार्य, राजपुरोहित कृपाचार्य की तरह कब तक वे अंधे धृतराष्ट्र के पुत्रमोह में जकड़े गांधी-वाड्रा परिवार के देशद्रोही कार्यों को समर्थन देते रहेंगे।

आपको राय देना सूर्य को दीपक दिखाने की तरह है। फिर भी कितनी भी बड़ी भूल क्यों न हो किसी भी क्षण उसे देशहित में सुधारा जा सकता है।

क्योंकि कहते भी हैं, देर आये,
दुरुस्त आये।

वंदे मातरम।
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