उडुपी । कर्नाटक के उडुपी का हिजाब विवाद की सिर्फ की टाइमलाइन देखेंगे तो पता चलेगा कि कैसे इस मुद्दे को धार्मिक रंग दिया गया क्योंकि इसको वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया जाना था।

ज़ी न्यूज़ ने जब इस मामले की गहराई से पड़ताल की तो कई ऐसी बातें सामने आईं जो साफ इशारा करती हैं कि ये एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। इस विवाद को जिस तरह से शुरू किया गया और फिर मामले को तूल दिया गया, साफ इशारा करता है कि सोच-समझकर इस मुद्दे को उठाया गया।

चुनाव में एसडीपीआई ने जीतीं 3 सीटें

उडुपी के पीयू कॉलेज में क्लास के अंदर हिजाब पहनने की मांग को लेकर मुस्लिम छात्राएं 31 दिसंबर को धरने पर बैठीं इससे ठीक एक दिन पहले उडुपी के पास कापू इलाके के नगरपालिका चुनाव में पीएफआई की पॉलिटिकल पार्टी एसडीपीआई ने तीन सीटें जीतीं।

आंदोलन चलाने की दी धमकी
1 जनवरी 2022 को ये लड़कियां कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) जो पीएफआई और एसडीपीआई की छात्र शाखा है, के साथ स्कूल में हिजाब पहनने की मांग को लेकर प्रेस कॉफ्रेंस करती हैं, जिसमें कहा जाता है कि हिजाब पहनने की मांग को नहीं माना जाता तो आंदोलन चलाया जाएगा।

लेकिन ऐसा नहीं है कि ये मुद्दा दिसंबर में ही शुरू हुआ, दरअसल इसकी कहानी अक्टूबर महीने में ही लिखी जा चुकी थी। अक्टूबर में जब एबीवीपी (ABVP) ने उडुपी में मार्च निकाला था तो उसमें मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन कर शामिल हुई थीं और बस यहीं से सीएफआई (CFI) ने अपनी कहानी तैयार करनी शुरू की और इन लड़कियों को अपनी योजना में शामिल किया।

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