वाराणसी। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद, वाराणसी की ओर से मंगलवार को आपत्ति दाखिल की गई। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि मुकर्रर की है। 

गौरतलब है कि ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विशेश्वरनाथ की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्टट्रैक कोर्ट) की अदालत में इस अपील पर सुनवाई चल रही है।

15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। जबकि विपक्षियों का दावा है कि उक्त तिथि को इसका स्वरुप मस्जिद का था और आज भी कायम है। वादी पक्ष ने धार्मिक स्वरुप तय करने के लिए संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल के संबंध में भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की। वादमित्र के अधिवक्ता सुनील कुमार रस्तोगी ने भवन के बाहरी तथा अंदरूनी दीवारों,गुबंदों,तहखानों आदि के संबंध में ए.एस.आई.से भी निरीक्षण कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की है। अदालत ने इस अपील पर विपक्षियों से आपत्ति मांगी थी।

प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से आपत्ति दाखिल में कहा गया कि स्थानीय सर्वेक्षण वहीं हो सकता है जहां पर विवादित संपत्ति के संबंध में कोई अनिश्चितता हो अथवा निष्कर्ष निकालने में परेशानी हो तो उस स्थिति में अदालत वकील-कमिश्नर से आख्या मंगवा सकती है। सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी भी संपत्ति के संबंध में अदालत अपनी व्यवस्था के अलावा किसी अन्य विभाग से रिपोर्ट नहीं मंगवा सकती। मस्जिद स्थित न होने के संबंध में कोई विवाद नहीं है। वादीगण प्रार्थना पत्र के माध्यम से साक्ष्य एकत्रित करना चाहते हैं जो कानूनन संभव नहीं है। ऐसे में वादीगण का प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाये। इसी मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त जाने पर आपत्ति करते हुए अतिरिक्त जवाबदेही दाखिल की गयी।

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