वाराणसी। वाणिज्यकर विभाग ने जीएसटी में पंजीकृत फर्मों की जांच शुरू करा दी है। जांच में 4777 ऐसी फर्में चिह्नित हुई हैं, जो सिर्फ कागजों पर कारोबार कर आईटीसी का लाभ ले रही हैं। धरातल पर कहीं उनका पता नहीं है। ऐसी फर्मों के व्यापारियों को नोटिस जारी कर जुर्माना लगाने की तैयारी है।
विभाग ने 60 फर्मों को बोगस श्रेणी में रखा है। कंट्रोल रूम से शिकायत में सभी फर्म पर दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा आदि प्रदेशों से फर्जी फर्मों से खरीद-बिक्री करने का आरोप है। हालांकि आईटीसी क्लेम और जीएसटी चोरी की राशि का पता जांच के बाद ही चल पाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, फर्जी फर्म और प्रांत से बाहर की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों की आईटीसी को ब्लॉक कर सभी संदिग्ध फर्मों द्वारा फर्जी तरीके से 48 करोड़ का क्लेम लेने का दावा किया गया था। जांच के बाद राशि ब्लॉक कर दी गई है।
लॉकडाउन के दौरान फर्म पंजीयन की जांच शुरू कराई गई तो गड़बड़ी परत दर परत सामने आई। अधिकारियों के अनुसार, मई और जून में पंजीयन नहीं के बराबर हुए, जबकि जुलाई से फरवरी तक जीएसटी में पंजीकृत 16858 फर्मों की पोर्टल से कारोबारी गतिविधियों पर निगरानी रखी गई तो कागजी और कर चोरी में लिप्त फर्म का फर्जीवाड़ा सामने आया।
वाणिज्य कर विभाग द्वारा फर्जीवाड़ा में लिप्त फर्मों की जीएसटी पोर्टल से जांच कर कार्रवाई शुरू की गई। इसमें पता चला कि जीएसटी की ऑनलाइन पंजीयन व्यवस्था के मास्टर माइंड कारोबारी कागजी कारोबार से वाणिज्य कर विभाग को चपत लगा रहे हैं।
कर अधिकारियों ने जीएसटी पोर्टल के जरिए सभी संदिग्ध फर्मों के पंजीयन नंबर से जांच शुरू की। जीएसटीएन पोर्टल पर पंजीयन संख्या में सभी फर्मों की जांच में कारोबार करने की बात सामने आई, लेकिन फर्म द्वारा रिटर्न नहीं भरा जा रहा था।
फर्म मालिकों द्वारा परिवहन प्रपत्रों ई-वे बिल आदि का प्रयोग दिखाकर कर योग्य बिक्री पर भी आईटीसी क्लेम का दावा किया जा रहा था। वाणिज्य कर विभाग ने दूसरे प्रदेशों से फर्जी तरीके से खरीद करने वाले 60 फर्मों को बोगस घोषित किया गया है। इन संदिग्ध फर्मों की जांच चल रही है।
अपर आयुक्त वाणिज्य कर मिथिलेश कुमार शुक्ल ने कहा कि जीएसटी में कर चोरी करने वालों की जांच पड़ताल की जा रही है। विभागीय जांच में फर्जी फर्में बनाकर कागजी कारोबार करने वाले फर्मों का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है।