त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ए कुरैशी ने शुक्रवार को राज्य सरकार के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के विरुद्ध जांच आदेश को ख़ारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी राजनीतिक दलों की रैलियों में भाग ले सकते हैं और सोशल मीडिया के जरिए अपने विचार भी व्यक्त कर सकते है।

जस्टिस कुरैशी ने कहा कि राजनीतिक रैलियों में सरकारी कर्मचारियों की शिरकत को राजनीति में उनकी संलिप्तता नहीं माना जा सकता। उन्हें सोशल मीडिया में अपने विचार व्यक्त करने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आल इंडिया सर्विसेज ( कंडक्ट ) रूल्स के रूल 5 के तहत सरकारी कर्मचारियों का यह आचरण दंडनीय नहीं है।

जस्टिस कुरैशी ने यह फ़ैसला बिस्वेंदु भट्टाचार्जी लिपिका पाल की याचिका पर सुनाया जिसे वर्ष 2017 में एक राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेने तथा सोशल मीडिया में भाजपा के विरुद्ध टिप्पणी पोस्ट करने पर 25 अप्रैल 2018 को रिटायरमेंट से कुछ ही दिनों पहले बर्ख़ास्त कर दिया गया था।

जस्टिस कुरैशी ने लिपिका पाल के विरुद्ध विभागीय जांच और चार्जशीट वापस लेने तथा दो माह के अंदर उसके रिटायरमेंट देयों का भुगतान करने का राज्य सरकार को आदेश दिया।

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