नई दिल्ली। 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए भारतीय जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर 8.4% पर पहुंच गई, जबकि पिछले कारोबारी साल की इसी अवधि में यह 7.4% कॉन्ट्रैक्शन के साथ थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक सुधार मजबूत हुआ है। उपभोक्ता खर्च में तेजी आने से मदद मिली। हालांकि कोरोना वायरस का नए वैरिएंट का प्रसार आगे की रिकवरी के लिए आशंका भी पैदा कर रहा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक Q2 2021-22 में जीडीपी 35.73 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जबकि 2020-21 की दूसरी तिमाही में 32.97 लाख करोड़ रुपये रहा।
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रमशः 1.6% और 20.1% का विस्तार हुआ। वित्त वर्ष 2012 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 20.1% बढ़ी। जानकारों के मुताबिक भारत का आर्थिक सुधार Q2FY22 में मजबूत हुआ। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पिछले साल की गहरी मंदी से उबर रही है, जो टीकाकरण की बढ़ती दरों और सरकारी खर्च में तेजी से बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत रहने का ICRA ने अनुमान व्यक्त किया है।
अक्टूबर में, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने विकास के अनुमान को 9.5% पर बरकरार रखा है। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के 7.9% होने की उम्मीद है। आरबीआई ने कहा है कि Q3 में 6.8%; और 2021-22 के Q4 में 6.1%। अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र की वृद्धि की मदद से बढ़ रही है, लेकिन धीमी वैश्विक वृद्धि, बढ़ती विनिर्माण कीमतों के साथ-साथ covid -19 का नया संस्करण जोखिम डाल सकता है।
1 दिन पहले प्रमुख रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का 8.3 फीसद का अनुमान आम सहमति वाले वृद्धि दर के अनुमान से 0.1 प्रतिशत कम था। रेटिंग एजेंसी का कहना था कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर लगातार नौ तिमाही में तीन प्रतिशत से अधिक रही है। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर ऊंची रहेगी।