एक दर्जन से अधिक स्थानों पर मानव श्रृंखला बनाकर हुआ स्वागत
मां गंगा आस्था का प्रतीक होने के साथ ही देश के विकास और समृद्धि की स्रोत है
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथन कि “गंगा का कायाकल्प वर्षों से एक चुनौती रहा है, हमने इसे मिशन के रूप में लिया है” आज उस समय पूरी तरह चरितार्थ होता दिखा जब रजवाड़ी में हजारों बच्चों का विशाल समूह मानव श्रृंखला बनाकर आ रही गंगा यात्रा के भव्य स्वागत के दौरान अपने हाथों में “सर्व कल्याणमयी गंगे”, “गंगा हमारी माता है”,
“गंगा नदी हमारी सभ्यता एवं संस्कृति से जुड़ी हैं”, “मानव समाज के लिए गंगा लाइफ लाइन है”, “गंगा देश का मान बढ़ाती हैं और दुनिया में पहचान दिलाती”, “मानव समाज का गंगा से युगो-युगो का नाता है और गंगा हमारी माता है”, “गंगा नदी भारत की आत्मा है” व “अविरल एवं निर्मल गंगा धारा हम सबके जीने का सहारा है” आदि नारों से लिखी तख्तियां हाथों में लिए गंगा के स्वच्छता, निर्मलता एवं अविरलता का संदेश लोगों को दे रहे थे।
बलिया से चलकर गाजीपुर होते हुए रजवाड़ी के रास्ते मंगलवार को वाराणसी की सीमा में गंगा यात्रा का भव्य स्वागत रजवाड़ी में हुआ। गंगा यात्रा का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर स्वयं कर रहे थे। रजवाड़ी टोल प्लाजा पर गंगा यात्रा को पहुंचते ही वहां मौजूद लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला। गंगा यात्रियों का लोगों ने फूल मालाओं से स्वागत किया और उन पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेरी।
रजवाड़ी सनदहा तिराहा तक लगभग एक दर्जन से अधिक स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। गाजीपुर सीमा से वाराणसी प्रवेश करते हुए रजवाड़ी टोल प्लाजा के पास गंगा यात्रा का विशाल जनसभा के माध्यम से स्वागत हुआ। इस दौरान गंगा यात्रियों का फूल मालाओं के साथ-साथ गुलाब की पंखुड़ियों को उन पर बिखेर कर भव्य स्वागत किया गया। जनपद सीमा पर ऐसे भव्य स्वागत से गंगा यात्रा का नेतृत्व कर रहे लोग पूरी तरह आत्मा विभोर दिखे। रजवाड़ी में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रतीकात्मक गंगा आरती भी की। रजवाड़ी से गंगा यात्रा के आगे-आगे स्वच्छता का संदेश दे रहे स्लोगन लिखे टी शर्ट पहने मोटरसाइकिल दस्ता के लोग आगे-आगे चल रहे थे। उसके पीछे भारी संख्या में लोगों के साथ गंगा यात्रा धीरे-धीरे अपने अगले पड़ाव संदहा होते हुए रिंग रोड के रास्ते सारनाथ, पहाड़िया, चौकाघाट होते हुए राजघाट के भैसासुर घाट की ओर चल रही थी।
गंगा यात्रा का मुख्य उद्देश्य मां गंगा के प्रति जन आस्था व सम्मान का अभिवर्धन, गंगा की अविरलता एवं निर्मलता सुनिश्चित करना, प्रदेश के विकास में मां गंगा केंद्रित रचनात्मक सोच, मां गंगा आधारित सतत आर्थिक विकास (अर्थ-गंगा) तथा मां गंगा संरक्षण हेतु अध्यात्म, संस्कृति एवं जन सहभागिता का संगम सुनिश्चित कराना है। जबकि अर्थ-गंगा अभियान के अंतर्गत मां गंगा के तटवर्ती गांव में जीरो बजट खेती को प्रोत्साहन देना, गंगा नर्सरी की स्थापना, पौधों का निशुल्क वितरण एवं इनके रखरखाव हेतु अनुरक्षण अनुदान, गंगा के दोनों तटों पर 500 मीटर के दायरे में 12000 हेक्टेयर में गंगा उद्यान की स्थापना, गंगा तट में 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक फार्मिंग को प्रोत्साहन, व्यापार एवं निर्यात हेतु वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग का अधिकाधिक उपयोग, जल, वायु, मृदा एवं ध्वनि के प्रदूषण एवं उनके निवारण हेतु पर्यावरण गोष्ठी, सघन वृक्षारोपण तथा ईको टूरिज्म-वाटर स्पोर्ट्स, नौकायन एवं क्रूज आदि के पीपीपी मोड पर संचालन को प्रोत्साहन देना हैं।