पाकिस्तान को अपना दोस्त बताने वाले चीन ने इमरान खान सरकार को बड़ा झटका दिया है। मंदहाली के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान ने चीन से अपने 3 अरब डॉलर के कर्ज को पुनर्गठित करने का अनुरोध किया था जिसे चीन ने खारिज कर दिया है।एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चाहता था कि चीन सीपीईसी के तहत बने ऊर्जा प्रॉजेक्ट के लिए दिए गए लोन को माफ कर दे लेकिन चीन ने मना कर दिया है। इसके बाद कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्तान के डिफाल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान में बनाए ऊर्जा प्लांट पर चीन ने करीब 19 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा खरीद पर हुए समझौते को पुनर्गठित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज में किसी भी राहत के लिए चीनी बैंकों को अपने नियम और शर्तों में बदलाव करना होगा। चीनी बैंक पाकिस्तान सरकार के साथ पहले हुए समझौते के किसी भी शर्त को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।
प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सीनेटर और उद्योगपति नौमान वजीर ने कहा कि नैशनल इलेक्ट्रिक पॉवर रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जिस समय निजी क्षेत्र को ऊर्जा उत्पादन की अनुमति प्रदान की थी, उस समय टैरिफ बहुत ज्यादा रखा गया। उन्होंने कहा कि इसका खुलासा पाकिस्तान पॉवर सेक्टर को लेकर हुई एक जांच में हुआ।
पाकिस्तान पर 30 दिसंबर 2020 तक कुल 294 अरब डॉलर का कर्ज था जो उसकी कुल जीडीपी का 109 प्रतिशत है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज और जीडीपी का यह अनुपात वर्ष 2023 के अंत तक 220 फीसदी तक हो सकता है। यह वही साल है जब इमरान खान सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे। इमरान खान ने सत्ता संभालने से पहले चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे जो दुनिया से कर्ज के लिए भीख नहीं मांगेगा।