इस्लामाबाद/ढाका/पेरिस। पैगंबर के कार्टून को लेकर विवाद और बढ़ता जा रहा है। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, पाकिस्तान, बांग्लादेश से लेकर लेबनान तक दुनिया के तमाम कट्टर इस्लामिक मुल्कों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद फ्रांस के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठनों और जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं ने स्वात घाटी के मत्ता बाजार में प्रदर्शन किया। इस दौरान एक रैली भी आयोजित की गई। इसमें फ्रांस के सामानों का पूरे मुल्क में बहिस्कार करने की गुजारिश की गई।
इमरान पर फ्रांस से संबंध तोड़ने का दबाव
रैली को संबोधित करने वालों ने इमरान खान पर दबाव बनाते हुए कहा कि सरकार को फ्रांस के साथ हुए सभी समझौतों को रद कर देना चाहिए। वहीं समाचार एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में फ्रांसीसी दूतावास की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक का सहारा लेना पड़ा। लाहौर में प्रदर्शनकारियों ने मैक्रों का पुतला जलाया। वहीं यरुशलम में हजारों फलस्तीनियों ने अल-कक्सा मस्जिद के सामने प्रदर्शन किए। कुछ युवक इजरायली पुलिस से भिड़ गए। लेबनान की राजधानी बेरुत में भी प्रदर्शन हुए।
बांग्लादेश में सड़कों पर उतरे हजारों लोग
समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, बांग्लादेश की राजधानी ढाका समेत पूरे देश में शुक्रवार की नमाज के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति के विरोध में प्रदर्शन हुए। बांग्लादेश में लगभग 10 हजार लोगों ने ढाका में मार्च किया और फ्रांस के सामानों का बहिस्कार करने की अपील की। लोगों की हाथों में बड़े बड़े बैनर थे जिसमें लिखा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ‘दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी’ हैं। वहीं दो हफ्तों के भीतर दो आतंकी हमलों का सामने करने वाले फ्रांस ने मजहबी कट्टरता के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति के इस एलान का कई अन्य देशों ने फ्रांस का समर्थन किया है।
आतंकियों के खिलाफ अभियान और तेज करेंगे- मैक्रों
हालात का जायजा लेने नीस पहुंचे फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इसे आंतकी हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकी रोधी अभियान में सैनिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। राष्ट्रपति ने देश के गिरिजाघरों और स्कूलों की सुरक्षा बढ़ाए जाने की बात भी कही। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमानिन ने भी शुक्रवार को कहा है कि देश में और आतंकी हमले हो सकते हैं। इसको देखते हुए पूरे देश में खासकर चर्चों और स्कूलों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। उन्होंने कहा कि फ्रांस ने इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ निर्णायक जंग का एलान कर दिया है।
ट्यूनीशिया का था हमलावर
गेराल्ड डारमानिन ने कहा कि इस लड़ाई में हम घरेलू और बाहरी दुश्मनों से एक साथ लड़ रहे हैं। वहीं जांच में पाया गया है कि नीस में एक महिला का सर कलम करने और अन्य दो लोगों की हत्या करने वाला हमलावर ट्यूनीशिया का रहने वाला था। वह इटली होते हुए 21 दिन पहले ही यानी नौ अक्टूबर को फ्रांस पहुंचा था। हमलावर ने गुरुवार सुबह अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए लोगों पर हमला किया था। बाद में पुलिस ने उसे दबोच लिया था। उसके पास से तीन चाकू बरामद किए गए थे। उससे संपर्क के संदेह में 47 साल के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है।
इस्लाम की पवित्र किताब लिए था हमलावर
फ्रांस के आतंक रोधी अभियोजक जीन-फ्रेंकोइस रिचर्ड ने पत्रकारों को बताया कि हमलावर गत 20 सितंबर को लैम्पेदुसा द्वीप के जरिये इटली में दाखिल हुआ था। इसके बाद वह पेरिस पहुंचा था। उसका जन्म 1999 में ट्यूनीशिया में हुआ था। उसके पास इस्लाम धर्म की किताब और दो मोबाइल फोन थे। उसने हमले में 17 सेंटीमीटर लंबा चाकू का इस्तेमाल किया था। उसके बैग में और दो चाकू पाए गए। वह करीब 30 मिनट चर्च में था। फ्रांस में महज दो हफ्ते के अंदर यह तीसरा हमला है। दो हफ्ते पहले राजधानी पेरिस में फ्रांसीसी शिक्षक सैमुअल पेटी का सिर कलम कर दिया गया था।
ट्यूनीशिया में भी जांच शुरू
ट्यूनीशिया के आतंक रोधी अभियोजक दफ्तर ने बताया कि फ्रांस में हुए हमले की जांच की जा रही है। यह हमला ट्यूनीशियाई नागरिक ने किया था। इस हमले की जिम्मेदारी लेने वाले महदी आर्गेनाइजेशन की भी जांच की जा रही है। यह संगठन इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय बताया गया है।
भारत में भी धार्मिक भावनाएं भड़काने की शरारत
भारत में भी फ्रांस के विरोध के नाम पर धार्मिक भावनाएं भड़काने की शरारत की गई। मुंबई में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों की तस्वीर सड़कों पर चिपका कर उसके साथ अभद्रता की गई। भोपाल में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद कोरोना महामारी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए हजारों समर्थकों समेत सड़कों पर उतरे और धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की। पुलिस ने मसूद और दो हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। उन्माद को हवा देने वालों में शहर काजी मुश्ताक अली नदबी, मुस्ती-ए-शहर अबुल कलाम कासमी भी शामिल थे। जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की निंदा करते हुए कहा कि पैगंबर के कार्टून के प्रकाशन को अभिव्यक्ति की आजादी का नाम दिया जा रहा है, लेकिन क्या सभ्य समाज में इसे जायज ठहराया जा सकता है।