विशेष संवाददाता
वाराणसी। भारत के परंपरागत पहनावे वर्तमान में में विश्व स्तर पर न सिर्फ लोकप्रिय हो रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया के लोग उसे पहन भी रहे हैं। धोती-कुर्ता, साड़ी, लहंगा आदि की ख्याति वैश्विक स्तर पर फैल रही है। मुगलकाल से ही भारतीय संस्कृति और परिधान दुनिया को प्रभावित करते आए हैं । मुगलकाल के कपड़ों का आज के दौर में भी वही पहले जैसा ही क्रेज है। चूड़ीदार पायजामा, अनारकली ड्रेस 16वीं शताब्दी से सभी ने पसंद किया है। तत्कालीन तमाम राजा-महराजा और रानियों से लेकर अबतक की नामचीन हस्तियां इन परिधानों को पहन रही हैं। समय के साथ फैशन बदला लेकिन भारतीय परिधान सबकी पसंद रहे हैं ।
बड़ा लालपुर स्थित टीएफसी सभागार में चल रहे दो दिनी ‘काशी एक रूप अनेक’ कार्यक्रम के अंतिम दिन नॉलेज कॉन्क्लेव और तकनीकि सत्र में विदेशी डिजाइनरों और खरीदारों ने यह बात कही। इस मौके पर भारतीय हस्तकला उत्पादों को विश्व बाजार में प्रमोट करने के लिए विचार-विमर्श साझा किया। उन्होंने दुनिया में डिमांड के अनुसार प्रोडक्ट के बारे में हस्तशिल्पियों को जानकारी दी। इस मौके पर बनारस के हस्तशिल्प व कारीगरी पर वृत्त चित्र का प्रदर्शन हुआ।
आयोजन में यूपीआईडी ने बनारसी साड़ी, लकड़ी व मिट्टी के खिलौने, मीनाकारी के बारे में बताया जिससे अंतरराष्टकृीय स्तर पर बेहतर मार्केटिंग संभव हो। यूएसए की जॉनसन प्रेटेसिया ने ग्लोबल मार्केट में भारतीय फैशन डिजाइनरों की बढ़ती मांग की ओर ध्यान दिलाया। बीते 20 साल से फैशन कारोबार कर रहीं न्यूयार्क की मेरिटा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जाने के लिए ब्रांड और कस्टमर की जानकारी जरूरी है। ग्राहक की जरूरतों को समझना होगा। बाजार में उतरते वक्त ब्रांड, डिजाइन, मूल्य, आवश्यकता और उपभोक्ता का लक्ष्य निर्धारित करना आवश्य