डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यूपी )

द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के पूर्व चीन का अधिकांश भूभाग जापान के कब्जे में था। चीन की पहचान भुखमरी की कगार पर खड़े अफीमची, मदकची,भिखारी देश की थी।

यह वही दौर था जब जीविकोपार्जन हेतु चीन की स्त्रियां देह व्यापार करती थी। जिसके सबसे बड़े उपभोक्ता आक्रामक जापानी मूल के पुरुष हुआ करते थे। यानी ये गुलामी का एक ऐसा दौर था कि इस कालखंड में पैदा हुआ बहुतायत चीनी, जापानी – चीनी नस्ल के दोगले थे। इसने बहुत कुछ तत्कालीन चीनी मानसिकता को भी प्रभावित किया। यही कारण था कि 1947 से 1949 के दौर में चीन साम्राज्यवादी और माओवादी कम्युनिस्ट विचारधारा में विभाजित हो गया।

सम्राज्यवादी विचारधारा के प्रेरणा स्रोत च्यान्ग काई शेक थे। जो चीन की उस रुढवादी परंपरा के पर पोषक थे,जो बौद्ध धर्म से प्रभावित थी। जबकि माओवादी विचारधारा,नर पिशाचो की तरह बलात अपने कायदे कानून उन चीनियों पर लागू कर रही थी, जो जापान के शासनकाल में अत्याचार के चलता बौद्ध धर्म और सभी मानववादी सिद्धांतों को त्याग विश्व के हर उस राष्ट्र के विरोध में हो गए,जो प्रजातांत्रिक मानव मूल्यों और विश्व शांति में विश्वास रखते थे।

कहते हैं जैसे संस्कार वैसे विचार। बायोलॉजिकल वार के रूप में चीन अपने प्रतिस्पर्धी देशो पर हमला कर चुका है। यह तृतीय विश्व युद्ध, प्रथम और दूसरे विश्वयुद्ध से इस मायने में बिल्कुल अलग है क्योंकि इसमें इंसान की इंसान से लड़ाई नहीं है,बल्कि इंसान के विरुद्ध दोगले नरपिशाच चीन का हमला है।जिसकी मानसिकता और युद्ध शैली भी नरपिशाचों की तरह है। यह वह यक्ष प्रश्न है जिसका समाधान हमें चीन पर फुल-फ्लेजड अटैक करने के पहले सोच लेना चाहिए। इस संदर्भ में भावी रणनीति निर्धारण करने के पहले यदि निम्नलिखित सुझाव पर भी ध्यान दें तो मैं समझूंगा,कि रणनीति के निर्धारण में मेरा आंशिक योगदान है।

•हिंदी चीनी,भाई-भाई की मानसिकता को त्याग कर,अब दोगले चीनियों के प्रति बाई-बाई,की मानसिकता होनी चाहिए।

चीन ने भारत सरकार और चाइनीज गवर्नमेंट के बीच LAC पर हुए हर पूर्ववर्ती समझौतों का उल्लंघन करते हुए,गलवान घाटी स्थित भू-भाग में अपने अधिकृत छेत्र पर भारतीय सीमा के अंदर पेट्रोलिंग करते हुए,भारतीय सैनिकों पर सोची समझी साजिश के तहत जानलेवा हमला किया और यह हमला उस कालखंड के दौरान हुआ जब चीन द्वारा पूर्व के भारत-चीन समझौते के विरुद्ध,विवादित स्थल पर अनाधिकृत निर्माण और चीनी सेना के जबाव को हटाने के लिए,उच्च-स्तरीय वार्ता प्रगति पर थी।

इन् सभी तथ्यों को मय-प्रमाण UNO की आम सभा एवं सिक्योरिटी कौंसिल की इमरजेंसी मीटिंग बुला कर,इस घटना को उनके संज्ञान में लाकर आवश्यक कार्यवाही के साथ,यह मांग करनी चाहिए कि जबतक uno को इस घटना की जांच की फाइनल रिपोर्ट न मिल जाये तब तक के लिए People Republic of china को UNO की साधारण सभा और सिक्योरिटी कौंसिल की सदस्यता से लंबित कर देना चाहिए।और अंतिम निर्णय गुण-दोष के आधार पर हो।

तिब्बत,हांगकांग, ताइवान को Soviergn State गोषित करते हुए उनसे दूतावास यानी अंबेसडर लेवल पर,संबंध स्थापित कर लेने चाहिए।

गलवान घाटी में भारतीय सेना पर,हुए हमले का जवाब हम या तो हम कारगिल की सीमित युद्ध रणनीति की तरह दे,या LAC पर स्थित क्षेत्र जो भविष्य में सामरिक दृष्टि से हमारे लिए खतरा है , उनपर हमला कर या तो अपने उन्हें पूर्ण नियंत्रण में ले ले या वहाँ गोरिल्ला वॉर का आगाज़ करदे।

South China Sea,

जिसपर चीन अपना प्रभुत्व समझता है।वहाँ से मल्लका जल डमरू मध्य होते हुए Indian Ocean का जो जलमार्ग है,उसे अमेरिकी,ऑस्ट्रेलियाई,फिलीपीन, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और इडियन नेवी की नेवल फ़ोर्स द्वारा चीनी जल पोतो का चाहे वे कार्गो शिप ,आयल टैंकर ,या पैसेंजर ,या चीनी नेवी का जलयान उनके प्रवेश को पूर्णतः निषिद्ध करदे। यदि इस कारण युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो,तो उनका सामना करने में भी कोई गुरेज नहीं होना चाहिए।

चीन से भारत का व्यापार लगभग 100 बिलियन डॉलर का था।जिसका 75% हम चीन से आयात करते है,यानी कि चीन को हमसे प्रति वर्ष हमसे 75 बिलियन डॉलर की कमाई होती थ। ।चाहे जो भी प्रतिबंध लगाने पड़े। उससे हमे कितना ही,घरेलू मोर्चे पर manufacturing में चीन से आयातित Accesories का आयात कितना भी आवश्यक क्यों न हो,
बंद करना होगा। अन्य देशों से उनके तात्कालिक विकल्प खोजना होगा। यानी दूसरे शब्दों में,चीन पर पूरा आर्थिक प्रतिबंध लगाना होगा।

देश की वे राजनीतिक पार्टियां विचारधाराएं इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया जो देशवासियो का और सेना का मनोबल गिराने के लिए,खाते हिंदुस्तान का है,गाते दुश्मन देशो का है।उन्हें survilliance में रखना होगा,और यदि आवश्यक हो तो इनके मुखियाओं को अपने ही घरों में नज़रबंद कर देना चाहिए।

अगर कोई दुकानदार या उपभोगता,2020 के बाद कोई भी चीन निर्मित समान रखे या बेचे,तो IPC की नई धारा,IPC COVID19 के तहत उसे जुर्माना या जेल या दोनों ही सजाये एक साथ हो सकती है।जिनके EXECUTION के बारे में तत्काल कदम उठाने होंगे।

तत्काल प्रभाव से इनके सहयोग से भारत मे जो परियोजनाएं चल रही है,या जिनके टेंडर पाइपलाइन में है,उन्हें निरस्त करना होगा।

अंत में मैं भारत सरकार से अनुरोध करूँगा कि यदि WHO की जांच में चीन बायोलॉजिकल कोरोना वर्ल्ड वॉर का दोषी पाया जाता है।तो INTERNATIONAL COURT OF JUSTICE में मुआवज़े की मांग करें। साथ ही साथ मित्र देशो को,समय समय पर घटनाक्रम की सूचना देते हुए,चीन के विरुद्ध विश्वव्यापी जनमत तैयार करे। पाकिस्तान और नेपाल जो हमारे पड़ोसी राष्ट्र है, उनसे सवधान होने के साथ-साथ देश की सुरक्षा और हित में कदम उठाने आवश्यक हैं।

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