पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और इसे विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश गठित होने के बाद निरुद्ध किये गये नेशनल कांफ्रेंस के चेयरमैन और सांसद फ़ारूक़ अब्दुल्ला तथा उनके विधायक बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला यदि कुछ समय के लिए सक्रिय राजनीति से दूर रहने को राज़ी हो जायें तो सरकार उन्हें रिहा कर सकती है।

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक़ इस आशय का प्रस्ताव तैयार करने का काम चल रहा है। इसके अलावा एक अन्य विकल्प पर भी विचार हो रहा है कि पिता-पुत्र कुछ समय के लिए इंग्लैंड चले जायें और वहीं से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में अपने पार्टी एजेंटों के जरिए पार्टी का कामकाज संचालित करें।

दरअसल पिछले दिनों विदेशी राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद सरकार की ओर से इस तरह के प्रस्ताव का मसविदा तैयार किये जाने के प्रबल संकेत मिलने लगे हैं।

इस बीच जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को निशात के वरिष्ठ वकील नज़ीर अहमद रोंगा सहित 26 लोगों के निरुद्ध वारंट निरस्त निरस्त कर दिये। कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रोंगा अलगाववादी हुर्रियत के एक धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फ़ारूक के काफ़ी क़रीब हैं। इन 26 लोगों के विरुद्ध जम्मू-कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम 1978 के प्रावधानों को समाप्त करने की कार्रवाई केंद्र शासित प्रदेश में लागू पाबंदियों की समीक्षा करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर की गयी है।

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