कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते 20 दिनों से जारी है। इस बीच सरकार ने कहा है कि किसानों के सभी अच्छे सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसानों को समझाने, बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालने के लिए तैयार है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बातचीत किसान संघों द्वारा विरोध का समाधान खोजने का एकमात्र तरीका है। बातचीत नहीं होने से गलतफहमी पैदा हो सकती है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नीतीश गडकरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा, “सरकार सभी अच्छे सुझावों (किसानों से) को स्वीकार करने के लिए तैयार है। इसमें कुछ समय लगेगा। हमारी सरकार किसानों को समझाएगी और बातचीत के जरिए रास्ता निकालेगी।”
उन्होंने कहा, “अगर कोई बातचीत नहीं होती है, तो यह विवाद और छींटाकशी करने के लिए गलतफहमी पैदा कर सकता है। अगर बातचीत होती है तो मुद्दों को हल किया जाएगा, पूरी बात खत्म हो जाएगी, किसानों को न्याय मिलेगा, उन्हें राहत मिलेगी। किसानों का हित के लिए हम काम कर रहे हैं।”
गडकरी ने कहा, “किसानों को इन कानूनों को समझना चाहिए। हमारी सरकार किसानों के लिए समर्पित है और उनके द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है। हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।” सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री ने कहा कि किसान संघ को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ मिलकर कृषि कानूनों की चर्चा करनी चाहिए जो इसके लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “मैं एक साधारण बात पूछना चाहता हूं। यदि आप फार्मेसी में जाते हैं, जो कौन लागत तय करता है? दुकानदार या कंपनी? आप भोजन करने के लिए रेस्तरां जाते हैं, जो आपके बिल की लागत कौन तय करता है? वह होटल का मालिक होता है। वैसे ही हवाई जहाज से यात्रा करते समय, टिकट की लागत का फैसला करता है? कंपनी जो इसका मालिक है। लेकिन जब किसान अपनी फसल की खरीद के लिए मंडी जाते हैं तोअपनी फसल के उत्पादन की लागत क्यों नहीं तय करते हैं? क्या यह सही है?” गडकरी ने कहा कि अगर उनसे किसानों से बात करने को कहा जाता है, तो वह उनसे बात करेंगे।
उन्होंने कहा कि अभी कृषि और वाणिज्य मंत्री किसानों के साथ बातचीत कर रहे हैं। अगर मुझे किसानों से बात करने के लिए कहा जाता है, तो मैं उनसे बात करूंगा। मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार ने पिछले छह वर्षों में कई बार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है।
उन्होंने कहा, “पिछले छह वर्षों में हमने फसलों का एमएसपी छह गुना बढ़ा दिया। मुझे बताएं कि हम किसानों के खिलाफ कैसे हैं? पिछले छह साल में किसानों के हित में जो काम किए गए, वे पिछले 50 वर्षों में नहीं किए गए।”
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा भूख हड़ताल की चेतावनी के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे जी इसमें शामिल होंगे। किसानों के खिलाफ हमने कुछ भी नहीं किया है। किसानों को अपनी उपज कही भी बेचने का अधिकार है। “
उन्होंने कहा कि गरीब किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं विदर्भ से आता हूं। 10,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। किसानों, किसान संगठनों द्वारा जो सुझाव सही हैं, हम उन बदलावों के लिए तैयार हैं।”