पदम पति शर्मा

चार सितम्बर बुधवार को अपने प्रधानमंत्री इमरान खान को धता बताते हुए पाकिस्तान की फौज ने कश्मीर मुद्दे पर भारत पर हमले की खुली धमकी देकर हलचल मचा दी है. 

पाकिस्तानी फौज के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने प्रेस कान्फ्रेस में कहा कि कश्मीर उसके गले की नस है और इसके लिए हमारी फौज खून के आखिरी कतरे तक जंग लड़ेगी. उसने खुल कर कहा कि यह आर पार की लड़ाई होगी. हम एटम बम के पहले इस्तेमाल जैसा कोई बंधन नहीं मानते. यानी प्रकारान्तर मे पाकिस्तानी सेना ने चेता दिया कि यह परमाणु जंग हो सकती है. 

फौज की इस मंशा से एक बार फिर यह साबित हो गया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान उसका महज एक बबुआ है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.  असली शासक तो वह है. उसके इरादे तो पाक के एक नापाक मंत्री शेख राशिद ने दो दिन पहले यह कहते हूए जाहिर कर दिए थे कि हमारे पास आधा पाव और पाव भर के स्मार्ट बम हैं. रेल महकमा संभाल रहे इस मंत्री ने यह भी दावा किया था कि वह ये सब सेना की मर्जी से बोल रहे हैं. 

इस मंत्री ने यह भी कहा कि उनके देश की माली हालत इतनी खराब है कि पांच- छह दिन का ही गोला बारूद है और इसके चलते सहारा सिर्फ छोटे स्मार्ट बम का ही है. शरोफ और मुशर्रफ की सरकारों मे भी मंत्री रह चुके राशिद ने यह भी दावा किया कि उसने जंग की योजना का वीडियो भी देखा है. उसने तो जंग का संभावित समय भी बता दिया कि अक्टूबर के आखिरी या नवम्बर के पहले सप्ताह मे हमला करेगे.

ताज्जुब तो भारतीय मीडिया की इस संवाददाता सम्मेलन को लेकर उपेक्षा से है. हिन्दी तो छोड़िए अंग्रेजी के इण्डियन एक्सप्रेस  और टाइम्स आफ इण्डिया तक मे यह खबर नहीं नजर आयी.

एक दिन पहले ही अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स  मैटिस ने, जिन्होंने गत जनवरी मे ही पद से इस्तीफा दिया था, अपनी आत्मकथा ” काल साइन केओस ” मे पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताते हुए लिखा कि उसके एटमी हथियारों का जखीरा विश्व शान्ति और विशेष रूप से भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा है. एक सामाजिक कट्टरपंथी देश से सभी को सावधान रहने की जरूरत है.

पाक सरकार और उसकी सेना की ओर से परमाणु हमले की खुली धमकी के बावजूद भारत की चुप्पी और इसे वैश्विक मंच पर न ले जाने से आश्चर्य है. जबकि दुनिया को एकजुट होकर पाक के नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने के लिए उसके एटमी हथियारों को अपने नियंत्रण मे लेना समय की माँग है. देखना है कि मोदी सरकार इस नाजुक मुद्दे पर कब और कैसा कदम उठाती है.

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