विश्व जनसंख्या दिवस 2020 । कोरोना के शुरुआती दौर मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के साथ यूनिसेफ समेत तमाम एजेंसियों ने अनुमान लगाया था कि दुनिया में जन्म दर तेजी से बढ़ेगी और अगले साल आबादी पर इसका असर दिखेगा।
हालांकि मई-जून और जुलाई में कोरोना के बढ़ते कहर के साथ अब अमेरिका, यूरोप और तमाम एशियाई देशों में जन्म दर में 30 से 50 फीसदी तक कमी की अनुमान जताया गया है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सर्वे के अनुसार, कोरोना काल जनसंख्या में उछाल की बजाय गिरावट का कारण बनेगा। यूरोपीय देश इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की बात करें तो 18-34 साल की उम्र के 50 से 60 फीसदी युवाओं ने परिवार आगे बढ़ाने की योजना को एक साल तक के लिए टाल दिया है।
सिर्फ 23 फीसदी ने इससे अंतर न पड़ने की बात कही
रिपोर्ट की लेखिका फ्रांसेका लुपी ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग औऱ अन्य पाबंदियों के बीच बेबी बूम (भारी संख्या में बच्चे पैदा होने) की कोई संभावना नहीं है।
सर्वे में फ्रांस और जर्मनी में 50 फीसदी युवा दंपतियों ने कहा कि वे महामारी के कारण बच्चे की योजना को टाल रहे हैं। ब्रिटेन में 58 फीसदी ने कहा कि वे परिवार आगे बढ़ाने के बारे में फिलहाल सोचेंगे भी नहीं।
सिर्फ 23 फीसदी ने इससे अंतर न पड़ने की बात कही। इटली में 38 फीसदी और स्पेन में 50 फीसदी से ज्यादा युवाओं ने कहा कि उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है कि वे बच्चे का ख्याल रख भी पाएंगे।
दंपतियों ने बेरोजगारी को देखते हुए भी परिवार का बोझ न बढ़ाने का समर्थन किया। यह भी आशंका जताई कि अगर अभी वे बच्चा करते हैं तो शायद उन्हें बेहतर इलाज की सुविधाएं भी नहीं मिल पाएंगी। डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नार्वे और आइसलैंड में भी यही ट्रेंड दिख रहा है।
अमेरिका में पांच लाख कम बच्चे पैदा होंगे-
-15 फीसदी तक जन्म दर में गिरावट का अनुमान आपदा-आर्थिक संकट के दौरान
-40 लाख बच्चे साल में होने का अनुमान था अमेरिका में जनवरी में यूनिसेफ का
-32-33 लाख बच्चे पैदा होंगे ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के जून में हुए आकलन के अनुसार
इन देशों में भी गिरावट-
-ऑस्ट्रेलिया में जनसंख्या वृद्धि दर शून्य तक पहुंचने के संकेत(मार्च से मई में)
-यूरोप में सर्वाधिक वृद्धि दर वाले तुर्की में भी जन्म दर में गिरावट के संकेत
-ईरान में जन्म दर गिरने के बाद अस्पतालों में नसबंदी,गर्भनिरोधक दवा-उपकरण मिलना बंद
-सिंगापुर सरकार ने कहा, जन्म दर में लगातार कमी लेकिन आबादी बढ़ाने की योजना नहीं
फिलीपींस में उल्टा ट्रेंड-
-02 लाख 14 हजार ज्यादा बच्चे जन्म लेंगे 2021 में, कुल 19 लाख बच्चे
-20 साल में सर्वाधिक जन्म दर फिलीपींस में, गर्भपात पर रोक है देश में
भारत में भी दिखेगा असर-
यूनिसेफ ने भारत में मार्च-दिसंबर के बीच सर्वाधिक दो करोड़ और चीन में 1.3 करोड़ बच्चे जन्म लेने का अनुमान लगाया था, हालांकि बदले हालात में इसमें कमी का अनुमान है।
भारत के 13 राज्यों में प्रजनन दर पहले ही काफी नीचे आ चुकी है। सेव द चिल्ड्रेन के प्रोग्राम एवं पॉलिसी इंपैक्ट के निदेशक अनिंदित रॉय चौधरी ने कहा कि भारत के शहरी और ग्रामीण परिवेश में कोविड-19 का प्रभाव जन्म दर पर अलग-अलग दिख सकता है।
कुपोषण, टीकाकरण, शिक्षा-स्वास्थ्य को ले लें तो कोविड का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर ही पड़ा है, ऐसे में युवा परिवार बढ़ाने या न बढ़ाने को लेकर क्या कदम उठाते हैं, यह आने वाले समय में पता चलेगा।
पहले भी ऐसा प्रभाव-
स्पेनिश फ्लू के दौरान घटी जन्मदर
1918-19 के स्पेनिश फ्लू के दौरान दुनिया में न केवल दस करोड़ लोग मारे गए, बल्कि बच्चों के भी बीमारी की चपेट में आने की आशंका से जन्म दर में 15 फीसदी कमी आई।
आर्थिक मंदी का भी प्रभाव-
-1930 की भयानक आर्थिक मंदी के दौरान भी जन्म दर 20 फीसदी तक गिरी
-2008 की मंदी के दौरान भी अमेरिका और यूरोपीय देशों में देखा गया प्रभाव
इसलिए अभी नहीं बढ़ाना चाहते परिवार-
-कोरोना काल में बच्चे को जन्म देकर उन्हें मुश्किल में नहीं डालना चाहते परिवार
-बेरोजगारी-तंगी के कारण शहरों में युवा दंपति बच्चा करने की योजना को टाला
-कामकाजी युवाओं के पास बच्चा पालने का समय नहीं, डे केयर होम, क्रेच आदि बंद
-कोरोना का टीकाकरण होने तक बच्चा नहीं चाहते तमाम देशों के दंपति
-गर्भावस्था के दौरान अस्पताल या डॉक्टरों की उचित सुविधा न मिल पाने का भी डर
-आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने, रोजगार, करियर को पहली प्राथमिकता दे रही नई पीढ़ी