नई दिल्ली । एक दिन पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन जारी रखने के ऐलान के बावजूद कुंडली धरना स्थल पर मौजूद निहंगों ने रविवार को दो ट्रकों में सामान व अपने घोड़ों को लादकर वापसी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि कृषि कानूनों के विरोध में यह आंदोलन था और सरकार ने उनकी मांग मान ली है। अन्य छोटी-मोटी मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा निर्णय लेगा।
रविवार को कुंडली के टीडीआइ माल के पास धरना दे रहे गुरदासपुर के पंथ काली गुरुनानक नाम की निहंग जत्थेबंदी ने वापसी का ऐलान कर दिया। निहंग जत्थेदारों ने न केवल अपना सामान समेटकर ट्रकों में लाद दिया बल्कि अपने घोड़ों को भी ट्रकों में चढ़ाकर वापसी शुरू कर दी। उन्होंने धरनास्थल पर बनाए अपने अस्थायी आशियाने से पूरा सामान समेट लिया और तंबू भी उखाड़ लिए। निहंगों ने एक ट्रक में सामान लोड किया जबकि दूसरे में अपने घोड़ों को चढ़ाया। उनका कहना था कि आंदोलन कृषि कानून के खिलाफ शुरू हुआ था। सरकार ने कानून वापस लेकर उनकी मांग मान ली। अब उन्हें जाने के आदेश हुए हैं। बाकी छोटी-मोटी मांगों को संयुक्त किसान मोर्चा देखेगा। उनके आंदोलन के चलते सरकार ने नरम रुख अपनाते हुए दूसरी मांगों पर भी वार्ता शुरू की है। कमेटी गठन की बात की जा रही है। इसलिए अब इस तरह से आंदोलन चलाने का खास औचित्य नहीं रह जाता है।
नए कृषि कानून वापसी के बाद दो दिन पहले निहंगों ने दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा में मत्था टेका था। माना जा रहा था कि निहंग इसे आंदोलन की जीत मानते हुए वापसी से पहले गुरु का आभार जताने पहुंचे थे। कुंडली बार्डर पर मौजूद अन्य निहंग जत्थेबंदियों में भी वापसी को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। एक-दो दिन में कुछ और जत्थेबंदियां भी अपने-अपने घरों को लौट सकती हैं।
प्रदर्शनकारियों ने भी शुरू किया सामान समेटना
कुंडली में धरनास्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। कृषि कानून वापसी के बाद से ही कुंडली बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया था। कई प्रदर्शनकारी तो वापस भी लौट गए। आंदोलन स्थल पर चल रहा सबसे बड़ा लंगर भी प्रदर्शनकारियों की संख्या कम होने की वजह से दो दिन पहले ही बंद हो गया है।