डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में कामधेनु अध्ययन एवं शोध पीठ की स्थापना कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर पारंपरिक बुंदेली वाद्ययन्त्रों और लोकाचार से अतिथियों का स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार श्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि यह गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय  में कामधेनु अध्ययन और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। भारतीय गायों की क्षमता अपार है, जरूरत इसे समझने और समझाने की है। दुग्ध उत्पादन, खाद उत्पादन और विभिन्न औषधीय उपयोगों सहित गायों के महत्व को कई पहलुओं को हम बचपन से जानते हैं। दुर्भाग्य से, समय के साथ हम देशी गोवंश का महत्व भूल गए हैं।

भारतीय परम्परा में समृद्धि की गणना गोधन से ही की जाती थी। यह एक पारंपरिक धन है जो हमें स्वाभाविक ढंग से चतुर्दिक समृद्धि की ओर ले जा सकता है। विश्वविद्यालय को चाहिए कि छात्रों के हॉस्टल की ही तर्ज़ पर गायों के आश्रय के लिए भी एक बड़े केंद्र की स्थापना करे। हमारा मंत्रालय और मैं भी व्यक्तिगत तौर पर इसमें सहयोग करने को तैयार हूँ।

उन्होंने कहा कि गाय ब्रह्माण्ड का मूल आधार है जिससे संबंधित सभी उत्पाद मनुष्य के मन, तन और धन को प्रखर कर देते हैं। इसलिए हमारा यह सौभाग्य है कि हमारे जीवन और समाज के सभी अनुष्ठानों में गाय की भूमिका और आशीर्वाद स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है। यहाँ से यह संदेश जाना चाहिए कि हम अपने जीवन और कर्म में गौ-स्नेह को नये रूप में पुनर्स्थापित कर सकें। 

उन्होंने कहा कि गौवंश, गौमूत्र आदि से होने वाली आय पर गौशाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती है। आज के समय में ऐसे मॉडल को विकसित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। कोरोना संकट की तमाम मुश्किलों के साथ इसने हमें यह सिखाया है कि स्वस्थ और सुरक्षित रहने के लिए हमें गौमाता की ही शरण में जाना होगा। विश्वविद्यालय इस शरण को एक व्यापक क्रान्ति में बदल सके, ऐसा प्रयत्न इसे करना चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय कई आयामों एवं उद्देश्यों के प्रोजेक्ट और वित्त संबंधी प्रस्तावों को मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करे। मंत्रालय निश्चित रूप से इस योजना में विश्वविद्यालय की मदद करेगा। 

कामधेनु पीठ वोकल फॉर लोकलका मूर्तिमान स्वरूप है : प्रो. नीलिमा गुप्ता

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य देते हुए अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और पीठ स्थापित करने में मंत्रालय के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह एक गौरवशाली एवं ऐतिहासिक क्षण है जहाँ विश्वविद्यालय अपने अकादमिक सरोकारों के अतिरिक्त सामुदायिक सेवा की अपनी प्रतिबद्धता को संस्थानीकरण करते हुए मूर्त रूप देने जा रहा है। मुझे हर्ष है कि हमारी इस पहल को माननीय केन्द्रीय मंत्री जी के नेतृत्व में उनके सम्पूर्ण विभाग ने तत्परता और प्राथमिकता के साथ स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की यह नवाचारी पहल ‘वोकल फॉर लोकल’से अनुप्राणित है। यह एक ऐसा रास्ता है जिससे न केवल विश्वविद्यालय बल्कि समाज और राष्ट्र भी आत्मनिर्भर बनने को वास्तविक अर्थों में साकार कर सकेंगे। 21 वीं सदी की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके लिए हमें न सिर्फ मार्ग सुझाती है बल्कि संरचना और अवसर भी उपलब्ध कराती है, जहाँ हम इस समुदाय आधारित ज्ञान एवं विज्ञान की ऐतिहासिक समृद्धि को पुनः समझें। यह भी एक सुखद संयोग है कि डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है और मध्यप्रदेश के पहले ‘कामधेनु अध्ययन एवं शोध पीठ’ की स्थापना भी इसी विश्वविद्यालय में हो रही है। यह एक ऐसा मणिकांचन योग है जिसकी अनुगूँज बहुत दूर तक जायेगी। उन्होंने कहा कि गौ-संवर्धन के क्षेत्र में मंत्रालय की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं को इस पीठ के माध्यम से हमारा विश्वविद्यालय अपने स्तर पर क्रियान्वित कर एक व्यापक सामुदायिक क्रांति में बदलने के लिए संकल्पित है। इसके लिए हमारे पास आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से युक्त प्रयोगशालाएँ हैं तो वहीं स्थानीय स्तर पर दयोदय गौशाला जैसा श्रेष्ठ उदाहरण मौजूद हैं। उनके अनुभवों से हमें इस दिशा में कुछ ठोस और श्रेष्ठ करने में सहायता मिलेगी।

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि यह एक सुअवसर है कि गौ आधारित अर्थव्यवस्था की शुरुआत हो रही है। एक समय में माननीय मालवीय जी ने विश्वविद्यालय में गौशाला स्थापित करने की शुरुआत की थी। आज भी यह काम विश्वविद्यालय के माध्यम से किया जा रहा है। यह एक महान काम है। आज पूरे विश्व में पैराडाइम शिफ्ट हो रहा है। विश्व के फलक पर भारतीय संस्कृति अपना विस्तार कर रही है। यह पर्यावरण फ्रेंडली की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम भी है। गौ संवर्धन की दिशा में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है.

कामधेनु पीठ बनेगा देश के लिए प्रतिमान : महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड, मध्य प्रदेश शासन के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरी ने कहा कि मध्य प्रदेश सर्वाधिक गौ प्रेमी और गौ सेवकों का प्रदेश है। मध्य प्रदेश गौ-संवर्धन आयोग के साथ मिलकर डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में विश्व की सबसे बड़ी गौशाला स्थापित की जा सकती है। कामधेनु पीठ इस अर्थ में एक शुभ कदम है। मैं विश्वास करता हूँ कि यह पीठ देश का एक प्रतिमान बने जहां गौधन संवर्धन के लिए वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन-अध्यापन हो सकेगा। आने वाला समय पंच- गव्य की आर्थिकी का है जिसके द्वारा हमारा समाज आत्मनिर्भर बन सकेगा. मध्य प्रदेश गौ संवर्धन आयोग इसके लिए विश्वविद्यालय को हर संभव मदद देने का आश्वासन देता है।

कामधेनु शोध पीठ स्थापित होना एक सांस्कृतिक घटना: कुलाधिपति

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो.बलवंतराय शांतीलाल जानी ने कहा कि यह शोध पीठ स्थापित होना एक सांस्कृतिक परिघटना है। यह नए भारत का निदर्शन है कि एक मंत्रालय का पूरा अमला अपने मुखिया के साथ एक विश्वविद्यालय में उपस्थित है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सुफल है कि संस्थाओं के साथ-साथ लोगों के बीच भी इस तरह के नवाचारी विचार पनप रहे हैं जो भारतीयता एवं राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत है। परम वैभवशाली राष्ट्र निर्माण की राह गौ-माता के प्रति हमारी आस्था से होकर जाती है। हमें ख़ुशी है कि विश्यविद्यालय इस राह का अन्वेषक बन रहा है।

सागर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजबहादुर सिंह ने कहा कि पीठ स्थापना के लिए आज हुए समझौता ज्ञापन के लिए विश्वविद्यालय को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। उन्होंने भारत सरकार को इस पुनीत कार्य के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि गाय का महत्व बढ़ाने के लिए बहुत ही सुयोग्य विश्वविद्यालय का चयन किया गया है जिस गाय को हम भगवान का दर्जा देते हैं, मुझे विश्वास है उसके लिए यह पीठ बेहतर कार्य कर सकेगी।

सागर विधानसभा क्षेत्र के विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय में कामधेनु पीठ की स्थापना गौवंश के संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी अकादमिक पहल है। इससे बुंदेलखंड में पारंपरिक रूप से गौवंश के रूप में विद्यमान ज्ञान को प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक स्तर पर सब तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी।

इस अवसर पर कार्यक्रम की नोडल अधिकारी प्रो. अर्चना पाण्डेय ने कामधेनु पीठ के उद्देश्यों एवं भविष्य की योजनाओं की प्रस्तुति देते हुए बताया कि यह पीठ सागर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों और समग्रता में बुंदेलखंड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिसमें वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन और पशुधन संरक्षण के तौर-तरीकों, गौ पालन के प्रति उच्च शिक्षा से जुड़े हुए युवाओं को आकर्षित करने और शिक्षित करने, प्रकृति और प्राकृतिक चीजों के प्रति लोगों को संजीदा बनाने जैसे व्यापक उद्देश्य के साथ कार्य करते हुए पंचगव्य, गोबर, गौमूत्र आदि पर अनुसंधान किया जाएगा। 

 मंत्रालय और विश्वविद्यालय के बीच हुआ एमओयू

इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार एवं विश्वविद्यालय के बीच एमओयू भी हुआ। कामधेनु पीठ द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों के संबंध में मंत्रालय और विश्वविद्यालय की भूमिका को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने और मंत्रालय प्रतिनिधि संयुक्त सचिव ओ. पी. चौधरी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।  

कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशुतोष ने किया। कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने मंचासीन अतिथियों सहित कार्यक्रम में पधारे लोगों का आभार व्यक्त किया। डॉ राकेश सोनी के नेतृत्व में विद्यार्थियों द्वारा बरेदी नृत्य की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में सागर के सम्माननीय जनप्रतिनिधि, नागरिकगण, मीडियाकर्मी और विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त और सेवारत शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।        

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