आयरन की कमी दूर करने के लिए लोग अक्सर लोहे से बने बर्तनों में भोजन पकाते हैं। लोहे के बर्तनों में खाना बनाकर खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। एक वयस्क महिला को रोजाना 18 mg आयरन की जरूरत होती है जबकि चार महीने तक नियमित रूप से लोहे के बर्तन में पका खाना बच्चों को दिया जाए तो उनके हीमोग्लोबिन स्तर को भी सुधारा जा सकता है।

लोहे के बर्तनों में पके खाने के बेशुमार फायदों के बावजूद क्या आप जानते हैं खाना बनाते समय इन बर्तनों का सही तरह से इस्तेमाल न करने पर आप सेहत से जुड़ी बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। जानते हैं भोजन पकाने के लिए लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करने से पहले वौ कौन सी बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।   

खट्टी या एसिड से जुड़ी चीजें भूलकर भी लोहे के बर्तन में न पकाएं। ऐसे भोजन लोहे के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे भोजन में धातु जैसा अप्रिय स्वाद पैदा हो सकता है। यही वजह है कि कढ़ी, रसम, सांभर या फिर टमाटर से बनने वाली तरी को स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में ही पकाने की सलाह दी जाती है।

लोहे की कड़ाही में बनी हरी सब्जियों में जल्द कालापन आ जाता है। ऐसा उसमें मौजूद आयरन और लोह तत्व की वजह से होता है। जो सेहत के लिए सही नहीं है। सब्जियों के काले होने की दो वजह होती हैं या तो बर्तन अच्छे से साफ नहीं हुआ है या फिर आपने खाना पकाने के बाद उसे लोहे के बर्तन में ही छोड़ दिया है। ऐसा बिल्कुल न करें। लोहे के बर्तनों में पकाया हुआ भोजन तुरंत किसी अन्य बर्तन विशेषकर कांच या तामचीनी (इनैमल) के बर्तन में पलट दें।।

रोजाना लोहे के बर्तनों में खाना पकाना सही नहीं है। सप्ताह में केवल दो से तीन बार ही इनमें खाना बनाएं। लोहे के बर्तनों को धोने के लिए हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें। इन बर्तनों को धोते ही तुरंत किसी कपड़े से पौंछ दें। ध्यान रखें इन्हें दोने के लिए कभी भी खुरदरे स्क्रबर या लोहे के जूने का इस्तेमाल न करें।

लोहे के बर्तनों को संग्रह करके रखने से पहले इन पर सरसों का तेल की एक पतली परत लगा दें, ताकि उन पर जंग न लग सके। हमेशा बर्तन को साफ और सूखी जगह पर रखें, जहां पानी और नमी की वजह से उन पर जंग न लगे।

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