नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर समेत तमाम अन्य धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रति भेदभाव से संबंधित मामले की सुनवाई नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ 10 दिन में पूरा कर लेगी।
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि, जिन सवालों को देखा जाएगा वे पूरी तरह से कानूनी प्रकृति के होंगे और सुनवाई पूरी करने में अधिक समय नहीं लगेगा। पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘इसमें 10 दिन से अधिक वक्त नहीं लगेगा। अगर कोई और वक्त चाहेगा तो भी समय नहीं दिया जा सकता।’’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष इस मामले का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि न्यायालय के पूर्व में दिये गये आदेश के अनुपालन में वकीलों की एक बैठक हुई, लेकिन नौ न्यायाधीशों की पीठ के विचारविमर्श के लिए कानूनी सवालों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।
विधि अधिकारी ने कहा ‘‘हम पीठ के विचारविमर्श के लिए सवालों को अंतिम रूप नहीं दे सके। उच्चतम न्यायालय सवाल तय करने पर विचार कर सकता है।’’
तब पीठ ने मेहता से बैठक में वकीलों द्वारा विचारविमर्श किये गये मुद्दों का ब्यौरा देने को कहा।
न्यायालय मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश, दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना, पारसी महिलाओं के गैर पारसी पुरुषों से विवाह करने पर रोक संबंधी मुद्दों पर विचार करेगा।