ममता बनर्जी के शासन वाले पश्चिम बंगाल में राज्य के संवैधानिक प्रमुख यानी राज्यपाल जगदीश धनखड़ को लगातार दूसरे माह अपमान का सामना करना पड़ा। कुलाधिपति होते हुए उन्हें कोलकाता यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सुनियोजित विरोध करते हुए शामिल नहीं होने दिया गया। यह वाकया मंगलवार का है। इसके पूर्व 24 दिसम्बर को जाधवपुर विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में जाने से रोका गया था।
कोलकाता यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी को डी लिट की उपाधि दी जानी थी, लेकिन भारी विरोध की वजह से राज्यपाल मंच तक नहीं जा पाए। हाथों में सी ए ए और एनपीआर के साथ राज्यपाल विरोधी तख्तियां लिये कथित छात्रों ने हल्ला-हंगामा करते हुए राज्यपाल को रोक दिया और वे समारोह में शामिल हुए बिना ही वापस लौट गए।उन्हें काले झंडे भी दिखाए गए।
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस घटना के लिए धनखड़ पर ही निशाना साधते हुए कहा कि राज्यपाल को चिंतन करना चाहिए कि क्यों उन्हें लगातार इस तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुर्सी की गरिमा का ख्याल उसपर बैठने वाले को रखना चाहिए। धनखड़ ने ट्वीट के जरिए घटनाक्रम पर नाराजगी जताई और कहा कि पूरा बवाल राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित था। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार राज्य के संवैधानिक मुखिया के साथ हुआ है, हम किस दिशा में जा रहे हैं।
चूंकि राज्यपाल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति होते हैं तो इस लिहाज से डी लिट की उपाधि पर उनका हस्ताक्षर जरूरी था। इसलिए छात्रों ने उन्हें सिर्फ ग्रीन रूम तक जाने दिया, जहां वह उपाधि पर हस्ताक्षर करके वापस लौट आए। नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से मुलाकात भी उन्होंने इसी रूम में की।
यह दूसरा मौका है जब राज्य के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह से धनखड़ को शामिल हुए बिना लौटना पड़ा है। पिछले साल 24 दिसंबर को जाधवपुर विश्वविद्यालय में भी छात्रों और कर्मचारियों के विरोध की वजह से उन्हें सालाना कार्यक्रम में शामिल हुए बिना लौटना पड़ा था। उन्हें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करनी थी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी, जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें कार्यक्रम का न्योता दिया था। दीक्षांत समारोह के बाद अभिजीत बनर्जी और उनकी मां निर्मला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने सचिवालय गए।
दूसरी तरफ राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल से लौटने के बाद ट्विटर अभिजीत बनर्जी के साथ अपनी तस्वीर साझा की और कहा कि समारोह में शामिल हुए बगैर लौटने के पीछे उनके मन में यह विचार था कि नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी, जिन्हें हम हम डी लिट् की मानद उपाधि दे रहे हैं, उनके सम्मान के साथ कोई समझौता न हो।