विशेष संवाददाता

चाहे प्रधानमंत्री मोदी हों या यूपी के सीएम योगी, दोनो मीडिया कर्मियों को कोरोना के खिलाफ जंग लडने वाले योद्धा करार देते हैं। लेकिन उनका क्या हाल है, क्या इसकी भी सुधि लेते हैं ?

दैनिक जागरण आगरा के कोरोना पाजिटिव दर्जन भर से ज्यादा पत्रकारों में से एक पंकज कुलश्रेष्ठ का निधन हो गया। 52 साल के पंकज डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत थे। उनकी मौत पत्रकारों ची बेबसी के बारे मे बहुत कुछ कह गयी।

पंकज दैनिक जागरण मथुरा के जिला प्रभारी रह चुके थे। वर्तमान में दैनिक जागरण आगरा में कार्यरत थे। पंकज कुलश्रेष्ठ की गणना बतौर कर्तव्यनिष्ठ, मृदुभाषी पत्रकारों मे होती थी।

सूत्रों का कहना है कि कोरोना की चपेट में आए पंकज की हालत खराब होती गई और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। लेकिन डाक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। अब भी ग्यारह पत्रकारों का इलाज चल रहा है।

एक दर्जन पत्रकारों के संक्रमित होने से भी दैनिक जागरण को दया नहीं आयी। उसकी यूनिटों में अब भी जबरदस्ती आफिस में बुलाकर काम कराया जा रहा है। इससे यहां कार्यरत मीडियाकर्मियों में रोष के साथ साथ भय भी व्याप्त हो गया है। कल पंकज गये आज कहीँ हमारी बारी भी न आ जाए।

उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण और पंजाब केसरी जैसे संस्थानों में कोरोना के मरीज मिलने और इस महामारी की चपेट में कई मीडियाकर्मियों के आने के बावजूद इनके आफिसेज को सील नहीं किया गया. ऐसा संभवत: इन मीडिया संस्थानों के रुतबे के चलते हुआ. इनकी जगह अगर कोई दूसरी कंपनी होती तो अब तक प्रशासन सील कर यहां कार्यरत सभी लोगों को क्वारंटीन में डाल चुका होता। पर दैनिक जागरण और पंजाब केसरी वाले धंधे के चक्कर में महामारी में अपने कर्मियों को झोंक दे रहे हैं और उनके प्राण लेने पर उतारू हैं। समझ मे नहीं आता कि कुछ चुनिन्दा रिपोर्टर्स को छोड कर शेष को घर से कार्य करने को क्यों नहीं कहा जा सकता। आज के युग में शायद ही कोई सक्रिय पत्रकार होगा जिसके पास स्मार्ट फोन न हो। आराम से वह खबरें भेज सकता है। यही नहीं जो पत्रकार रिपोर्टिंग में हैं उनका पचास लाख का क्या प्रबंधन को बीमा नहीं कराना चाहिए ?

दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ के निधन से हड़कंप मचा हुआ है। पंकज आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती थे। बुधवार से वेंटिलेटर पर थे। बताया जाता है कि पंकज को एयर एंबुलेंस से लखनऊ ले जाया गया था पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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