चंडीगढ़। क्या साइकिल सवार ट्रेन से ज्यादा तेज साइकिल चला सकता है और क्या साइकिल राइडर की स्पीड ट्रेन की स्पीड से ज्यादा हो सकती है ? क्या ऐसी साइकिल भी है जो ट्रेन से ज्यादा फास्ट भाग सकती है? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि जी हां साइकिल राइडर ट्रेन से भी ज्यादा तेज साइकिल चला सकते हैं और यह करतब चंडीगढ़ के साइकिल राइडर्स ने करके दिखाया है।
जिसमें उन्होंने ट्रेन के साथ रेस लगाते हुए एंड प्वाइंट तक ट्रेन से पहले पहुंचकर बाजी मारी है। इस रेस को ‘बीट द ट्रेन’ नाम दिया गया था।
चंडीगढ़ का साइकिल ग्रुप साइकिलवॉक्स स्पोर्ट्स क्लब की तरफ से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर इस रेस का आयोजन किया गया। इस ग्रुप में शामिल ट्राईसिटी के छह साइकिल राइडर्स ने कालका से शिमला तक 90 किमी का सफर पौने छह घंटे में तय किया है। हालांकि इस ग्रुप में 12 राइडर शामिल थे जिनमें से छह ने ट्रेन से पहले पहुंचकर इस रेस को जीत लिया।
बता दें कि कालका-शिमला रेल ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन के साथ इन साइकिल राइडर्स ने रेस लगाई थी। सुबह जैसे ही कालका रेलवे स्टेशन से ट्रेन शिमला के लिए रवाना हुई तभी इन साइकिल राइडर्स ने भी अपना सफर शुरू किया। कालका से शिमला तक 90 किमी के सड़क के सफर में कई जगह चढ़ाई उतराई भी आती है। हालांकि यह रेस साइकिल राइडर्स के लिए इतनी आसान नहीं थी, लेकिन बुलंद हौसलों, कड़ी मेहनत और शारीरिक फिटनेस की वजह से यह राइडर्स मुकाम पाने में सफल रहे।
ग्रुप में 12 साल से लेकर 59 साल तक के राइडर शामिल
इस जोश भरे साहसिक चैलेंज में 12 साल के साइकिल राइडर तन्मय रावत के अलावा लक्ष्य गेरा, अदित कालिया, अनंत, महकप्रीत, दीक्षांत जोहर, रवि शर्मा, एकता चौहान, विक्रांत शर्मा व अंकित तेवतिया के साथ 59 साल के नतिंदर ढिल्लों भी थे। शिमला पहुंचने पर स्टेशन मास्टर प्रिंस सेठी ने इस साइकिलिस्टों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल शरीरिक फिटनेस का संदेश देते हैं बल्कि आपसी भाईचारा भी मजबूत करते हैं। उन्होंने साइकिलिस्टों को कालका-शिमला ऐतिहासिक रेलवे ट्रैक के इतिहास से भी अवगत कराया।
युवाओं को साइकिलिंग के प्रति दिया संदेश
आयोजक साइकिलवॉक्स स्पोर्टस क्लब के फाउंडर विक्रांत शर्मा ने बताया कि इस चैलेंज को आयोजित करने का उद्देश्य न केवल गुजरते रास्तों में लोगों में देश समर्पण की भावना को जागृत करना है बल्कि युवाओं में साइकिलिंग और माउंटेन बाइकिंग के प्रति लगाव पैदा करना भी है। उन्होंने बताया 26 जनवरी की सुबह सभी साइकलिस्ट कालका रेलवे स्टेशन से ट्रेन छूटते ही शिमला रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुए। नेशनल हाईवे से होते हुए 12 में से छह साइकिल राइडरों ने ट्रेन से पहले पहुंचकर इस रेस को जीत लिया।