विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। देश में अपराध घटे हैं।वर्ष 2018 में प्रति एक लाख की आबादी में अपराध 2017 के 388.6 की तुलना में घट कर 383.5 रह गये हैं। यही नहीं 1988 के बाद पहली बार अदालतों में आईपीसी के तहत दोषसिद्धि के मामले 50 प्रतिशत तक पहुंच गये हैं।

एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया, 2018’ के मुताबिक, 1988 में दोषसिद्धि के मामले 51.1 प्रतिशत थे। उसके बाद से इसमें गिरावट आने लगी। 1998 में यह घटकर 37.4 प्रतिशत तक पहुंच गया। लेकिन उसके बाद इसमें थोड़ी-बहुत बढ़ोतरी आने लगी, लेकिन उसके बाद पिछले कुछ वर्षों तक यह 40-42% पर अटका रहा। 2016 में यह बढ़कर 46.8 और 2017 में 48.8 फीसदी तक पहुंच गया। वैसे हत्या, बलात्कार और दलितों पर अत्याचार जैसे संगीन मामलों में यह वृद्धि दर मामूली ही रही। हालांकि कुल अपराधों की दर में गिरावट आयी है, लेकिन संख्या के हिसाब से इसमें वृद्धि हुई है। 2017 में जहां आईपीसी और विशेष एवं स्थानीय कानूनों के उल्लंघन के 50.07 लाख मामले दर्ज किये गये, वहीं 2018 में यह संख्या 50.74 लाख तक पहुंच गयी। कुल अपराधों की संख्या में कमी आने के बावजूद बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों, राजद्रोह और औद्योगिक दंगों की घटनाएं बढ़ी हैं।

किसानों की आत्महत्या निम्नतम स्तर पर

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं में भी कमी आयी और यह तीन वर्ष के निम्नतम स्तर पर पहुंच गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अन्य मेट्रो शहरों की तुलना में दिल्ली में अपराधों की संख्या चार गुनी अधिक रही।

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